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चंद्र ग्रहण में इन कामों की है मनाही, ऐसे कामों से मिल सकता है लाभ: राशियों पर प्रभाव

चंद्र ग्रहण एक प्रकार की खगोलीय स्थिति होती है। जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है और चंद्रमा पृथ्वी की छाया से होकर गुजरता है तो इसे चंद्र ग्रहण कहा जाता है। ये घटना केवल पूर्णिमा के दिन ही घटित होती है। इस घटना का वैज्ञानिक के साथ धार्मिक महत्व भी माना जाता है। 26 मई को इस साल का पहला चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। जानिए इस ग्रहण के बारे में पूरी जानकारी,,,,,

चंद्रग्रहण 26 मई 2021:

-ये साल का पहला चंद्र ग्रहण है। भारत में उपच्छाया चंद्रग्रहण दिखेगा।-पंचांग के अनुसार ये ग्रहण बुधवार 26 मई 2021 को दोपहर 2 बजकर 17 मिनट पर शुरू होगा और इसकी समाप्ति 07 बजकर 19 मिनट पर होगी।

-वर्ष 2021 का ये पहला चंद्र ग्रहण विक्रम संवत् 2078 में वैशाख पूर्णिमा के दिन वृश्चिक राशि और अनुराधा नक्षत्र में लग रहा है।
-इस चंद्र ग्रहण को पूर्वी एशिया, ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत महासागर और अमेरिका के कई क्षेत्रों में देखा जा सकेगा। इन जगहों पर ये पूर्ण चंद्र ग्रहण की तरह दृष्टि गोचर होगा।

-भारत में ये उपच्छाया चंद्र ग्रहण की तरह दिखेगा।-ज्योतिष अनुसार इस ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा। 28 मई को शुक्र का राशि परिवर्तन जानिए किन राशियों के लिए रहेगा लाभकारी

चंद्र ग्रहण के दौरान क्या न करें?

-चंद्र ग्रहण के दौरान किसी भी तरह के शुभ कार्य न करें।
-इस दौरान भोजन बनाने और खाने से बचें।
-वाद-विवाद से बचें।
-धारदार वस्तुओं का प्रयोग न करें।
-भगवान की प्रतिमाओं को हाथ न लगाएं और तुलसी के पौधे के भी न छुएं।
-ग्रहण काल में सोना वर्जित माना जाता है।
-ग्रहण काल में मल-मूत्र विसर्जन भी निषेध होता है।
-ग्रहण के समय शारीरिक संबंध न बनाएं।
-बालों में कन्घी न करें।
-ग्रहण के समय दातुन न करें।
-ग्रहण काल में गर्भवती स्त्रियां घर से बाहर न निकलें।

ग्रहण काल में क्या करें:
-ग्रहण के समय मन ही मन अपने ईष्ट देव की अराधना करें।
-मंत्रोंच्चारण करने से ग्रहण की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
-ग्रहण की समाप्ति के बाद आटा, चावल, सतनज, चीनी आदि चीजों का जरूरतमंदों को दान करें।
-ग्रहण लगने से पहले खाने पीने की वस्तुओं में तुलसी के पत्ते डालकर रख दें।
-ग्रहण की समाप्ति के बाद घर की सफाई कर खुद भी स्नान कर स्वच्छ हो जाएं। कब, कैसे और क्यों लगता है चंद्र ग्रहण, जानिए पूरी डिटेल

चंद्र ग्रहण के दौरान इन मंत्रों का करें जाप:

-तमोमय महाभीम सोमसूर्यविमर्दन।
हेमताराप्रदानेन मम शान्तिप्रदो भव॥१॥

-विधुन्तुद नमस्तुभ्यं सिंहिकानन्दनाच्युत।
दानेनानेन नागस्य रक्ष मां वेधजाद्भयात्॥२॥

चंद्र ग्रहण के समय क्या करें और क्या न करें, जानिए सबकुछ

रोग मुक्ति के लिए चंद्र ग्रहण में करें ये उपाय, जानिए क्या कहता है ज्योतिषशास्त्र
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, अगर घर का कोई सदस्य किसी बीमारी से ग्रस्त है तो ग्रहण के दौरान जरूरतमंद व्यक्ति को चांदी का दान करने से लाभ होता है। इसके लिए एक कटोरी पानी में चांदी का सिक्का डालकर उनमें अपनी छाया देखें। फिर सिक्के को निकालकर किसी जरूरतमंद इंसान को दान कर दें।

कब होता है पूर्ण चंद्र ग्रहण?
पूर्ण चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है, जिससे सूर्य की किरणें सीधे चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाती हैं. इसके विपरीत, सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है और सूर्य की किरणों को अवरुद्ध करके पृथ्वी पर छाया डालता है.

चंद्र ग्रहण के दौरान क्या करें?
– चंद्र ग्रहण शुरू होने से पहले ही खाने-पीने की चीजों में तुलसी के पत्ते डालकर रख देने चाहिए। – ग्रहण के दौरान धार्मिक पुस्तकों को पढ़ना चाहिए। – ग्रहण के बुरे प्रभावों से बचने के लिए मन ही मन मंत्रों का जाप करना चाहिए। – ग्रहण के समय नवग्रह, गायत्री एवं महामृत्युंजय आदि शुभ मंत्रों का जाप करना चाहिए।

कितने बजे से शुरू होगा चंद्र ग्रहण?
26 मई को ग्रहण दोपहर 2.17 बजे से आरंभ होगा और शाम 7.19 बजे तक रहेगा। भारत में उपच्छाया चंद्र ग्रहण दिखने के कारण सूतक काल नहीं माना जाएगा।

चंद्र ग्रहण को लेकर प्रचलित पौराणिक कथा:

समुद्र मंथन के दौरान स्वर्भानु नामक एक दैत्य ने छल से अमृत पान करने की कोशिश की थी। इस राक्षस के बारे में चंद्रमा और सूर्य को पता चल गया। इसके बाद दैत्य की हरकत के बारे में चंद्रमा और सूर्य ने भगवान विष्णु को जानकारी दे दी। भगवान विष्णु ने तुरंत अपने सुर्दशन चक्र से दैत्य का सिर धड़ से अलग कर दिया।

चूंकि अमृत की कुछ बंदू राक्षस के गले से नीचे उतर गई थीं इसलिए वो राक्षस अमर हो गया। इस राक्षस के सिर वाला हिस्सा राहु और धड़ वाला केतु के नाम से जाना गया। माना जाता है कि राहु और केतु इसी बात का बदला लेने के लिए समय-समय पर चंद्रमा और सूर्य पर हमला करते हैं। जब भी ये दोनों क्रूर ग्रह चंद्रमा और सूर्य को जकड़ लेते है तो उस दौरान ग्रहण लगता है। ग्रहण के समय दोनों ही ग्रह कमजोर पड़ जाते हैं।

26 मई को कुछ जगहों पर दिखेगा आंशिक चंद्र ग्रहण…
भारत के कुछ शहरों में 26 मई को आंशिक ग्रहण देखा जा सकेगा। ये शहर हैं अगरतला, डायमंड हार्बर, आइजोल, कोलकाता, चेरापूंजी, कूचबिहार, दीघा, गुवाहाटी, इम्फाल, ईटानगर, कोहिमा, लुमडिंग, मालदा, उत्तर लखीमपुर, पुरी, सिलचर।

किस राशि और नक्षत्र में लगेगा चंद्रग्रहण?
ग्रहण का ज्योतिष में विशेष महत्व होता है। ये चंद्रग्रहण अनुराधा नक्षत्र और वृश्चिक राशि में लगेगा। इसलिए इनसे जुड़े लोग सतर्क रहें।

चंद्र ग्रहण के दौरान क्या बरतें सावधानियां…

ग्रहण के दौरान कोई भी नया काम शुरु न करें।
ग्रहण के दौरान खाना न बनाएं और खाना खाने से भी बचें।
गर्भवती महिलाएं तेज धारदार औजारों जैसे चाकू, कैंची और छुरी का इस्तेमाल न करें।
इस समया देवी देवताओं की मूर्ति और तस्वीरों को भी नहीं छूना चाहिए।
ग्रहण के दौरान दांतून करने, बालों पर कंघी लगाने और मलमूत्र का त्याग करने से भी बचना चाहिए।

पहला चंद्र ग्रहण 26 मई 2021:

चंद्र ग्रहण 2021 के अंतर्गत वर्ष का पहला चंद्र ग्रहण पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा, जो साल के मध्य में 26 मई 2021 को लगेगा।हिन्दू पंचांग के अनुसार, इस चंद्र ग्रहण का समय बुधवार 26 मई 2021 की दोपहर 14:17 बजे से, शाम 19:19 बजे तक होगा।

इस ग्रहण का प्रभाव वृश्चिक राशि और अनुराधा नक्षत्र में सबसे ज़्यादा देखने कों मिलेगा।चंद्र ग्रहण का दृश्य क्षेत्र पूर्वी एशिया, ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत महासागर और अमेरिका होंगे।भारत में ये एक उपच्छाया ग्रहण की तरह ही देखा जाएगा।

26 मई को लगने वाला चंद्र ग्रहण…

चंद्र ग्रहण दोपहर 2 बजकर 18 मिनट पर शुरू होगा और इसकी समाप्ति 7 बजकर 19 मिनट पर होगी। ये ग्रहण वृश्चिक राशि और अनुराधा नक्षत्र में लगेगा। ग्रहण की कुल अवधि 5 घंटे की होगी।

भारत में कहां कहां दिखाई देगा चंद्र ग्रहण…
भारत में उत्तरपूर्वी हिस्सों (सिक्किम को छोड़कर), पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों, ओडिशा, अंडमान और निकोबार द्वीप के कुछ तटीय भागों से चंद्र ग्रहण दिखाई देगा।

चंद्र ग्रहण से बचने के लिए क्या उपाय करें
ॐ सोम सोमाय नमः का एक माला अर्थात 108 बार रोज जाप करें.महामृत्युंजय मंत्र का भी सामर्थ्यानुसार रोज जाप करें.अपने इष्ट मंत्र का जाप करें.हनुमान चालीसा और संकट मोचन का प्रतिदिन पाठ करें.

भारत में यहां सबसे ज्यादा समय तक के लिए दिखेगा चंद्र ग्रहण…
चंद्रग्रहण शाम 5 बजकर 38 मिनट से 45 मिनट तक के लिये देखा जा सकता है जो भारत में ग्रहण का सबसे अधिक समय होगा। यह पुरी और मालदा से भी शाम 6 बजकर 21 मिनट से देखा जा सकता है।

चंद्रग्रहण के दौरान मंत्रों का जाप…
चंद्रमा का तांत्रिक मंत्र – ॐ सों सोमाय नमः
चंद्रमा का बीज मंत्र – ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः
ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृत तत्वाय धीमहि तन्नो चन्द्रः प्रचोदयात्

वृश्चिक जातकों पर इस ग्रहण का पड़ेगा सबसे अधिक प्रभाव
वृश्चिक राशि वालों को अपने शारीरिक के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य का भी ध्यान रखा होगा। जीवन साथी के साथ वाद-विवाद हो सकता है। आपको इस दौरान आर्थिक नुकसान का भी सामना करना पड़ सकता है।

में कुल कितने ग्रहण होंगे?
साल 2021 में कुल 4 ग्रहण होंगे जिनमें 2 सूर्य ग्रहण और 2 चंद्र ग्रहण शामिल हैं। पहला सूर्य ग्रहण 10 जून जबकि दूसरा 4 दिसंबर को लगेगा। वहीं, दूसरा चंद्र ग्रहण 19 नवंबर को है।

चंद्रग्रहण के समय चंद्रमा की ओर ना देखें और ना ही चांद की रोशनी में बैठें
चंद्रग्रहण के दौरान विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए वरना चंद्रग्रहण के नकारात्मक प्रभावों को सहना पड़ सकता है। चंद्रग्रहण में इस बात का खास ख्याल रखें कि आप और आपके परिवार का कोई भी सदस्य चंद्रग्रहण के समय चंद्रमा की ओर ना देखें और ना ही चांद की रोशनी में बैठें। इससे चंद्रग्रहण के दौरान चांद को होने वाले कष्ट का असर आपके जीवन में आ सकता है।

नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए बरतें सावधानियां
कहते हैं कि उपच्छाया चंद्रग्रहण के न्यूनतम नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए सावधानियां बरतनी चाहिए। ग्रहण काल में नुकीली वस्तुओं का इस्तेमाल ना करें, खाना ना बनाएं ना खाएं, घर के मंदिर में या मंदिर जाकर पूजा-पाठ ना करें और साथ ही अपने मन में ईश्वर का ध्यान लगाते हुए नाम या मंत्र जाप करें।

ग्रहण काल में नुकीली वस्तुओं का इस्तेमाल ना करें
ग्रहण काल में नुकीली वस्तुओं का इस्तेमाल ना करें, खाना ना बनाएं ना खाएं, घर के मंदिर में या मंदिर जाकर पूजा-पाठ ना करें और साथ ही अपने मन में ईश्वर का ध्यान लगाते हुए नाम या मंत्र जाप करें।

उपच्छाया चंद्र ग्रहण में भी कुछ सावधानियां जरूरी
हिंदू धर्म के रीति-रिवाजों के मुताबिक ग्रहण काल में कुछ चीजों को करने की सख्त मनाही होती है. वैसे तो ये एक उपच्छाया चंद्र ग्रहण है जिसका बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं होता है, लेकिन फिर भी कुछ सावधानियां बरत लेनी चाहिए.

नग्न आंखों से नहीं देखें ग्रहण
ग्रहण को नग्न आंखों से नहीं देखना चाहिए। ग्रहण के समय भोजन करने और बनाने से भी बचना चाहिए। ग्रहण के बाद स्नान करने को भी अच्छा बताया गया है, इससे ग्रहण का प्रभाव कम हो जाता है।

ग्रहण से जुड़े हैं कई धार्मिक पहलू
ग्रहण से कई धार्मिक पहलू जुड़े हुए हैं। ग्रहण के दौरान कर्मकांड का भी प्रावधान है। लेकिन अगर चंद्र ग्रहण आपके शहर में दिखाई ना दे रहा हो लेकिन दूसरे देशों अथवा शहरों में दर्शनीय हो तो कोई भी ग्रहण से सम्बन्धित कर्मकाण्ड नहीं किया जाता है। लेकिन अगर मौसम की वजह से चन्द्र ग्रहण दर्शनीय न हो तो ऐसी स्थिति में चन्द्र ग्रहण के सूतक का अनुसरण किया जाता है।

कई तरह के होते हैं ग्रहण
जब सूर्य और चंद्रमा के बीच में पृथ्वी परिक्रमा करते हुए आ जाती है जिससे चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी की छाया से ढक जाता है। तब पूर्ण चंद्र ग्रहण लगता है। आंशिक चंद्र ग्रहण तब लगता है जब सूर्य और चंद्र के बीच पृथ्वी आकर चांद के कुछ ही भाग को ढक पाती है। उपच्छाया चंद्र ग्रहण के दौरान सूर्य और चंद्र के बीच पृथ्वी उस समय आती है जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीधी रेखा में नहीं होते हैं। जिसके चलते पृथ्वी के बाहरी हिस्से की छाया ही चंद्र पर पड़ती है। इस स्थिति में चन्द्रमा के आकार में कोई अंतर नहीं होता बस चांद पर धुंधली सी आकृति नजर आती है।

यह एक उपच्छाया चंद्र ग्रहण है और इसे भारत में नहीं देखा जा सकेगा
ज्योतिष विज्ञान के मुताबिक चंद्र ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा क्योंकि यह एक उपच्छाया चंद्र ग्रहण है और इसे भारत में नहीं देखा जा सकेगा। इसके बावजूद इस चंद्र ग्रहण का धार्मिक महत्व है। उपच्छाया ग्रहण को ज्योतिष ग्रहण की श्रेणी में नहीं रखता और इसके प्रभाव व सूतक काल पर भी ध्यान नहीं दिया जाता। पूर्ण ग्रहण के समय भारत के अधिकांश हिस्सों में चंद्रमा पूर्वी क्षितिज से नीचे होगा और इसलिए देश के अधिकतर लोग पूर्ण चंद्रग्रहण नहीं देख पाएंगे।

ग्रहण काल के दौरान प्रतिबन्धित गतिविधियाँ:
ग्रहण काल में तेल मालिश करना, भोजन करना, जल ग्रहण करना, मल-मूत्र विसर्जन करना, बाल बनाना, मञ्जन-दातुन करना तथा यौन गतिविधियों में लिप्त होना मना किया जाता है।

कैसे लगता है चंद्र ग्रहण?
जब पृथ्वी की छाया चन्द्रमा पर पड़ती है, तब इसे चन्द्र ग्रहण कहा जाता है। चन्द्र ग्रहण सदैव पूर्णिमा के दिन ही होता है। चन्द्र ग्रहण के समय चन्द्रमा पर पड़ रहा सूर्य का प्रकाश पृथ्वी द्वारा रोक दिया जाता है।

ग्रहण का राशि और नक्षत्र पर प्रभाव
चंद्र ग्रहण वृश्चिक राशि और अनुराधा नक्षत्र में लगने जा रहा है। इसलिए इससे जुड़े लोगों पर इस ग्रहण का कुछ न कुछ असर देखने को मिलेगा। इसलिए वृश्चिक राशि और अनुराधा नक्षत्र के लोग हर काम में सतर्कता बरतें।

चंद्र ग्रहण के दौरान क्या न करें…
चंद्रग्रहण के समय किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं करने चाहिए.
भगवान की मूर्ति को नहीं छूना चाहिए
मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं.
चंद्रग्रहण के दौरान भोजन बनाना और खाना, दोनों वर्जित होता है
किसी तरह के वाद-विवाद से बचना चाहिए.
चंद्रग्रहण के दौरान शारीरिक संबंध बनाना वर्जित है.
इस दौरान गर्भवती स्त्रियों को कमरे से बाहर नहीं निकलना चाहिए. मान्यता है कि इस दौरान घर के बाहर निकलने से चंद्रग्रहण का विपरीत असर बच्चों पर पड़ता है.

चंद्रग्रहण देखना, सुरक्षित है या नहीं?
चंद्र ग्रहण को नग्न आंखों से देखा जा सकता है। इससे आंखों पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है। चंद्र ग्रहण को देखने के लिये आंखों पर कोई सुरक्षा जैसे चश्मा पहनने की भी आवश्यकता नहीं होती। हालांकि गर्भवती महिलाओं को सलाह दी जाती है कि चंद्र ग्रहण के दौरान वो घर से बाहर न निकलें। मान्यता है कि इससे बच्चे का विकास रुक सकता है।

ग्रहण से संबंधित बरतें ये सावधानियां…
किसी भी ग्रहण से पहले सूतक लग जाता है। हिन्दु मान्यताओं के अनुसार सूतक काल के समय पृथ्वी का वातावरण दूषित हो जाता है। जिस कारण इस दौरान किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं किये जाते। साथ ही कुछ विशेष कार्यों को करने की भी मनाही होती है।

इस ग्रहण का क्यों नहीं लगेगा सूतक…
ज्योतिष अनुसार उपच्छाया ग्रहण का सूतक काल नहीं माना जाता है। पूर्ण ग्रहण की स्थिति में ही सूतक काल के नियमों का पालन किया जाता है। सूतक काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है।

चंद्र ग्रहण के 15 दिन बाद लगेगा दूसरा ग्रहण…
26 मई को इस साल का पहला ग्रहण जो कि चंद्र ग्रहण है, लग रहा है। इसके ठीक 15 दिन बाद यानी 10 जून 2021 को सूर्य ग्रहण लगेगा। ये सूर्य ग्रहण भारत के साथ कनाडा, यूरोप, रुस, ग्रीनलैंड, एशिया और उत्तरी अमेरिका में भी देखा जा सकता है।

चंद्र ग्रहण का राशियों पर प्रभाव
साल 2021 का पहला ग्रहण होगा उपच्छाया चंद्र ग्रहण। जो 26 मई को लगने जा रहा है। ये ग्रहण भारत के साथ-साथ दक्षिण पूर्व एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अलास्का, कनाडा, ओशिनिया और दक्षिण अमेरिका में भी दिखाई देगा। भारत में उपच्छाया चंद्र ग्रहण होने के कारण इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा। ज्योतिष अनुसार ग्रहण का असर सभी राशियों पर कुछ न कुछ पड़ता है। यहां आप जानेंगे किन 5 राशियों पर इस ग्रहण का शुभ प्रभाव पड़ेगा। जानिए चंद्र ग्रहण का राशियों पर प्रभाव

ग्रहण काल में गर्भवती महिलाओं को बरतनी चाहिए विशेष सावधानियां…
गर्भवती स्त्रियों को ग्रहण काल में घर से बाहर न निकलने की सलाह दी जाती है। मान्यता है कि ग्रहण से निकलने वाली दूषित ऊर्जा का बुरा प्रभाव गर्भ में पल रहे शिशु पर पड़ने के आसार रहते हैं। ग्रहणकाल में गर्भवती को कुछ भी काटने और सिलने से भी मना किया जाता है।

चंद्र ग्रहण कैसे देखें?
चंद्र ग्रहण आप नंगी आंखों से देख सकते हैं। लेकिन टेलिस्कोप से चंद्र ग्रहण देखेंगे तो आपको बेहद खूबसूरत नजारा दिखाई देगा। उपच्छाया चंद्र ग्रहण को देखने के लिए खास सोलर फिल्टर वाले चश्मों (सोलर-व्युइंग ग्लासेस, पर्सनल सोलर फिल्टर्स या आइक्लिप्स ग्लासेस) की जरूरत पड़ती है।

वास्तविक चंद्र ग्रहण कब होता है?
खगोलीय विज्ञान के अनुसार जब चंद्रमा और सूरज के बीच पृथ्वी आ जाती है जिससे सूर्य की रोशनी चंद्रमा पर नहीं पड़ पाती तब उस घटना को चंद्रग्रहण कहते हैं।

चंद्र ग्रहण कहां देगा दिखाई?
दक्षिण पूर्व एशिया, ऑस्ट्रेलिया, ओशिनिया, अलास्का, कनाडा और दक्षिण अमेरिका में पूर्ण चंद्रग्रहण दिखाई देगा जबकि भारत में ये एक उपच्छाया चंद्रग्रहण के रूप में दिखाई देगा।

तीन प्रकार के होते हैं चंद्र ग्रहण…
पहला होता है पूर्ण चंद्र ग्रहण। जब सूर्य और चंद्रमा के बीच में पृथ्वी परिक्रमा करते हुए आ जाती है जिससे चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी की छाया से ढक जाता है। तब पूर्ण चंद्र ग्रहण लगता है। आंशिक चंद्र ग्रहण तब लगता है जब सूर्य और चंद्र के बीच पृथ्वी आकर चांद के कुछ ही भाग को ढक पाती है।

उपच्छाया चंद्र ग्रहण के दौरान सूर्य और चंद्र के बीच पृथ्वी उस समय आती है जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीधी रेखा में नहीं होते हैं। जिसके चलते पृथ्वी के बाहरी हिस्से की छाया ही चंद्र पर पड़ती है। इस स्थिति में चन्द्रमा के आकार में कोई अंतर नहीं होता बस चांद पर धुंधली सी आकृति नजर आती है।

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धर्म के गूढ़ रहस्यों और ज्ञान को जनमानस तक सरल भाषा में पहुंचा रहे श्री रवींद्र जायसवाल (द्वारिकाधीश डिवाइनमार्ट,वृंदावन) इस सेक्शन के वरिष्ठ सामग्री संपादक और वास्तु विशेषज्ञ हैं। वह धार्मिक और ज्योतिष संबंधी विषयों पर लिखते हैं।

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