जानलेवा साबित हो रहा हेलमेट से परहेज: लोग सुधरने को तैयार नहीं
मुजफ्फरनगर। पुलिस और यातायात पुलिस के तमाम जागरूकता अभियान के बावजूद भी वाहन चालक सुधरने को तैयार नहीं है। वाहन चालकों के लिए हैलमेट से परहेज करना जानलेवा साबित हो रहा है। ऐसे तमाम मामले हैं जिनमें वाहन चालक ने हेलमेट नहीं पहना था और सिर में गंभीर चोट लगने के कारण मौत हो गई।
जनपद में आए दिन कहीं न कहीं होने वाले हादसों में लोगों की जान जा रही है। पिछले एक पखवाड़े की बात की जाए तो आधा दर्जन से ज्यादा लोगों ने हादसे में दम तोड़ा है। हाल ही में पुरकाजी, तितावी, नई मंडी, बुढ़ाना, शाहपुर, मंसूरपुर समेत कई स्थानों पर हुए हादसों में आधा दर्जन लोगों की जान चली गई। इनमें सबसे ज्यादा दोपहिया वाहन चालक है।
मरने वालों ने हेलमेट नहीं पहना था। जिस कारण हादसे में गंभीर होने के बाद उन्हें जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया, लेकिन उपचार के दौरान या जिला अस्पताल पहुंचने से पहले ही उनकी मौत हो गई। हाल ही में हुए आधा दर्जन उदाहरण ऐसे हैं जिनमें वाहन चालक ने हेलमेट नहीं पहना था। सड़क पर नजर दौड़ाई जाए तो बड़ी संख्या में दोपहिया वाहन चालक बिना हेलमेट के दिखाई देते हैं।
ज्यादातर हादसों में देखा गया है कि बड़े वाहन की चपेट में आने से दोपहिया वाहन चालक सड़क पर गिर जाता है। सड़क पर गिरने के कारण सिर में चोट लगती है। सिर की चोट जानलेवा साबित होती है। चिकित्सकों की मानें तो हादसे में मरने वाले ज्यादातर लोगों के सिर में गंभीर चोट के कारण उनकी मौत हुई है।
अगर वाहन चालक हेलमेट का प्रयोग करें तो उनकी जान बच सकती है।यातायात पुलिस यातायात माह और सड़क सुरक्षा सप्ताह के अंतर्गत शहर से लेकर देहात तक जागरूकता अभियान चलाती है। शहर में जहां बाइक रैली निकालकर लोगों के हेलमेट पहनने और यातायात के नियमों का पालन करने की अपील की जाती है वहीं स्कूल-कालेजों में गोष्ठी के माध्यम से लोगों को यातायात नियमों का पालन करने के लिए जागरूक किया जाता है। बावजूद इसके लोग सुधरने को तैयार नहीं है।
एसएसपी अभिषेक यादव का कहना है कि वाहन चालकों को यातायात नियमों का पालन कराने के लिए समय समय पर आयोजन कराए जाते हैं। गोष्ठी और रैलियों के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जाता है।
चार पहिया वाहन चालक सीट बैल्ट और दोपहिया वाहन चालक हैलमेट का प्रयोग जरूर करें, ताकि खुद को सुरक्षित रखा जा सके। अभिभावक भी अपने बच्चों को हेलमेट पहनने के लिए प्रेरित करें। हेलमेट न लगाने वालों के खिलाफ समय-समय पर अभियान चलाया जाता है।