संपादकीय विशेष

मुजफ्फरनगर में धड़ल्ले से चल रहा अवैध सूदखोरी का धंधा, पीडित को कभी गंवाना पड़ता है आशियाना तो कभी सूदखोर करते हैं फजीहत

मुजफ्फरनगर। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में अवैध सूदखोरी के धंधे का ऐसा मकड़जाल है, जिसमें फंसने के बाद बाहर निकल पाना मुश्किल है। सूदखोर छोटी सी रकम के बदले जरूरतमंद का मकान तो कब्जा ही लेते हैं, साथ ही उसकी इज्जत से भी खेल जाते हैं। लोग इन सूदखोरों के जाल में फंसकर अपना मकान और इज्जत गंवा चुके हैं। सूदखोरों की दबंगई के आगे पुलिस-प्रशासन भी बेबस है।

दरअसल, साहूकारी का धंधा करने के लिए सरकार से लाईसेंस लेना पड़ता है, जिसमें सूद की प्रतिशत तय होती है और उससे ज्यादा ब्याज साहूकार नहीं ले सकता।

मुजफ्फरनगर में साहूकारी का यह धंधा बड़े पैमाने पर अवैध रूप से चल रहा है। छोटे मोहल्लों से लेकर पॉश कॉलोनियों तक में इन साहूकारों की पकड़ है। जरूरत के चलते लोग इन साहूकारों की शरण में जाते हैं और ब्याज पर इनसे रुपया हासिल कर लेते हैं, लेकिन साहूकारों से सूद लेने का खामियाजा उन्हें अपना मकान और इज्जत गंवाकर भुगतना पड़ता है।

ये फंसे साहूकारों के जाल में

शहर कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला खालापार निवासी सईदा ने मोहल्ले के ही एक साहूकार से 3 लाख रूपये का कर्ज लिया था। साहूकार ने सईदा से उसके मकान का 5 लाख रुपये में खरीदने का एग्रीमेंट करा लिया था। साहूकार का चक्रवृद्धि ब्याज बढ़ता गया और यह रकम 23 लाख रूपये हो गई।

साहूकार ने मकान कब्जाने का प्रयास किया, तो सईदा ने पांच लाख रूपये लौटा भी दिए। लेकिन साहूकार मकान पर कब्जा करने के लिए अड़ा रहा और सईदा के खिलाफ ही धोखाधड़ी तथा अमानत में खयानत का मुकदमा दर्ज करा दिया।

हालांकि पुलिस ने इस मुकदमे में फाइनल रिपोर्ट लगा दी है। ऐसा ही एक मामला शहर कोतवाली क्षेत्र के ही मोहल्ला लद्दावाला का है, जहां पर रिक्शा चालक अनीस ने अपने बच्ची की बीमारी में एक साहूकार से 30 हजार रूपये का कर्ज लिया था। साहूकार ने उससे उसके मकान का एग्रीमेंट करा लिया था।

अनीस साहूकार के रुपये नहीं लौटा पाया, जिस पर साहूकार का ब्याज समेत कर्ज 4 लाख रुपये हो गया था। अनीस ने अपना मकान साहूकार को सौंपकर अपनी जान छुड़ाई।

मोहल्ला रामपुरी निवासी सब्जी विक्रेता सुभाष कश्यप का भी मामला कुछ ऐसा ही है, जिसने जरूरत में साहूकार से 50 हजार रूपये लिए थे। सुभाष को इन पचास हजार के बदले 1 लाख 80 हजार रुपये चुकाने पड़े थे।

कैसे चलता है अवैध साहूकारी का धंधा
अवैध साहूकारी के धंधे में साहूकारों द्वारा जो ब्याज वसूला जाता है, उसकी दर 10 प्रतिशत से लेकर 20 प्रतिशत प्रति महीने होती है। यानि यदि किसी ने 1 लाख रुपये इन साहूकारों से ले लिए, तो उसे 10 से 20 हजार रुपये प्रतिमाह ब्याज के रूप में देने होंगे और यदि एक महीने भी ब्याज नहीं दे पाए, तो अगले माह मूलधन एक लाख से बढ़कर एक लाख 20 हजार रुपये हो जाएगा और आगे से उसे ब्याज 1 लाख 20 हजार रूपये पर देना होगा।

 

Dr. Sanjay Kumar Agarwal

डॉ. एस.के. अग्रवाल न्यूज नेटवर्क के मैनेजिंग एडिटर हैं। वह मीडिया योजना, समाचार प्रचार और समन्वय सहित समग्र प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है। उन्हें मीडिया, पत्रकारिता और इवेंट-मीडिया प्रबंधन के क्षेत्र में लगभग 3.5 दशकों से अधिक का व्यापक अनुभव है। वह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई प्रतिष्ठित समाचार पत्रों, चैनलों और पत्रिकाओं से जुड़े हुए हैं। संपर्क ई.मेल- [email protected]

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