Muzaffarnagar: हम नहीं लोग कह रहे है…भाजपाई रणनीति के चक्रव्यूह में फंसकर भी बड़े काम किये अंजु अग्रवाल ने
लोग कहते है कि Muzaffarnagar सिटी बोर्ड की चेयरमैनी भी कांटो भरा ताज है, इसकी स्थिति शादी के उस लड्डू की तरह से है, जो खाये वे उम्र भर पछताये और जो न खाये उसे इसका मलाल रहे। कांग्रेस के टिकट पर चेयरमैन चुने जाने और बाद में आरोपों में घिरने के बाद भाजपाईयों की रणनीति के चक्रव्यूह में फंसकर पाला बदलने वाली चेयरमैन का भाजपाई बनने का काम भी रंग न चढ़ा सका।
लोगों का कहना है कि भाजपा वालों ने तो उन्हें कभी अपना माना ही नहीं। मात्र मोहरे के तौर पर इस्तेमाल करते रहे। उल्टे भाजपा के मंत्री और सभासद खुलकर व पर्दे के पीछे उनके कामों में अडंगा लगाते रहे, इसी उहापोह में चेयरमैन का पूरा कार्यकाल बीत चला और चेयरमैन विवादों में घिरकर रह गयी। लोग कहते है कि चेयरमैन ने अपने पद की शपथ 12 दिसम्बर को ली थी
इस हिसाब से उनका कार्यकाल 11 दिसम्बर की रात्रि 12 बजे खत्म हो जाता है, ऐसे में Muzaffarnagar बोर्ड की बैठक बुलाना तो दूर कोई प्रशासनिक कार्य भी वे संचालित नहीं कर सकती, लेकिन इसके विपरीत चेयरमैन समर्थकों का तर्क है कि बोर्ड की पहली बैठक 8 जनवरी को बुलाई गई थी, इसलिए 7 जनवरी की रात्रि तक उनका कार्यकाल कायम है। लोगों में चर्चा है कि असंमजस्य की स्थिति से उबरने व कोर्ट के निर्देशों का पालन करने तथा अवमानना से बचने के लिए प्रशासन के अलावा मंत्री के खेमे के लोग भी कानूनविदों से राय मशविरा कर रहे है।
Muzaffarnagar सिटी बोर्ड में काम करने वाले जूनियर अफसर व कर्मचारी जिन्होंने अनेक चेयरमैनों का कार्यकाल देखा है वे भी मानते है कि कार्यकाल 11 तारीख की अर्वरात्रि में खत्म हो जायेगा, लेकिन अंतिम निर्णय प्रशासन को लेना है। अपने कार्यकाल की समाप्ति पर पूरे पांच वर्षों तक मीडिया के भाई लोगों का सहयोग लेने और उन्हें अपने आवास पर बुलाकर थैंक्स कर आभार प्रकट करने का इरादा भी बदलती हुई परिस्थितियों में स्थगित कर दिया गया है। इस बीच शिकायती जनप्रतिनिधि जो ज्यादातर सत्ताधारी दल के है और प्रशासनिक खेमा भी लगातार सÿिय होकर स्थिति पर निगाहें लगाये हुए है, देखा जाये तो यह कार्य देखो और मामले को टालते रहो की नीति पर चल रहा है।
Muzaffarnagar सिटी बोर्ड की राजनीति में कोई संदेह नहीं कि चेयरमैन के रूप में अंजु अग्रवाल का कार्य एक यादगार बनकर रहेगा।उन्होंने चेयरमैनी का पद छोड़ते समय 17 करोड का खजाना छोड़ा है, जबकि उन्होंने चार्ज लिया था, तब सिटी बोर्ड कर्जें की स्थिति में था।
इसके साथ ही उन्होंने Muzaffarnagar नगरपालिका भवन टाउनहाल की तस्वीर बदलने का भी कार्य किया, जिसको लेकर उन पर कटाक्ष भी किये गये, लेकिन उन्होंने किसी की परवाह नहीं की। उनके कार्यकाल में जो दस बड़े काम किये गये है वे हमेशा याद आते रहेंगे।
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