संपादकीय विशेषउत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश में ठोस बाढ़ बचाव के प्रबन्धन

उत्तर प्रदेश में बाढ़ से प्रभावित हो रही कृषि भूमि को प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में बड़ा ही ठोस बाढ़ बचाव के प्रबन्धन किये गये हैं। प्रदेश में जहां वर्ष 2013 में 15,41,373 हेक्टेयर कृषि भूमि बाढ़ से प्रभावित हुई थी, वहीं वर्तमान सरकार के ठोस प्रबन्धन एवं कार्य से वर्ष 2019 में मात्र 12025 हेक्टेयर कृषि भूमि ही प्रभावित हुई।

ऐसा सरकार द्वारा बाढ़ से बचाव के लिए किये गये सुव्यवस्थित बाढ़ परियोजनाओं के निर्माण एवं लगातार पर्यवेक्षण से हुआ है। उत्तर प्रदेश की समस्त नदियां वर्षा मानसून के समय ही अधिकतम प्रवाह लाती हैं। प्रत्येक वर्ष इन नदियों का प्रवाह भिन्न होता है। सामान्यतः प्रदेश का पूर्वांचल एवं तराई क्षेत्र नेपाल राष्ट्र से आने वाली नदियों के जल प्रवाह से अधिक प्रभावित होता है।

प्रदेश का पश्चिमी एवं मध्य क्षेत्र उत्तराखण्ड से आने वाली नदियों के अत्यधिक जल प्रवाह व कुछ क्षेत्रों में समुचित जल निकासी न होने के कारण बाढ़/जल प्लावन की समस्या से ग्रसित होता है, जबकि कुछ भाग नदियों के किनारे कटान से प्रभावित होते हैं। मध्य प्रदेश से आने वाली नदियों के कारण बुन्देलखण्ड का विन्ध्य क्षेत्र में बाढ़ एवं जल प्लावन की गम्भीर समस्याएं उत्पन्न होती रही हैं।

वर्तमान सरकार ने बाढ़ से प्रभावित होने वाली किसानों की फसल को बड़े ही गम्भीरता से लेते हुए बाढ़ से बचाव के कई उपाय किये। सरकार ने पारदर्शी तरीके से जन आकांक्षाओं के अनुरुप कार्य किया है। बाढ़ बचाव के लिए शासन स्तर पर कार्यों की लगातार समीक्षा, निरीक्षण एवं गुणवत्ता पर बल देते हुए मानसून से पूर्व कार्यों/परियोजनाओं को प्रारम्भ कर पूर्ण किया गया।

बाढ़ से बचाव हेतु नदियों पर 3869 किमी0 के 523 अदद तटबन्ध निर्मित किये गये हैं। वर्ष 2017-18 में 74 परियोजनाएं पूर्ण की गई जिसमें 310 गांव व 2.35 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को बाढ़ से सुरक्षित किया गया। उसी तरह वर्ष 2018-19 में 111 परियोजनाएं पूर्ण करते हुए 556 ग्रामों एवं 3.75 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को बाढ़ से सुरक्षित किया गया। प्रदेश के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में वर्ष 2019-20 में कुल चलित 246 परियोजनाओं में 143 बाढ़ परियोजनाएं पूर्ण करते हुए लाखों हेक्टेयर कृषि भूमि को संरक्षित करते हुए किसानों की फसलों को बचाया जा रहा है।

प्रदेश सरकार के सिंचाई विभाग द्वारा सतत् चौकसी बरतने, तटबन्धों पर पेट्रोलिंग करने, बाढ़ क्षेत्र में सुरक्षा समितियां बनाकर उनसे लगातार समन्वय स्थापित करने, तटबन्ध में कही कटान की सूचना प्राप्त होने पर दु्रत गति से पहुंचकर फ्लड फाइटिंग का कार्य करने, तटबन्धों एवं बाढ़ से कटान के स्थल का तत्काल अनुरक्षण आदि कार्य करने से बाढ़/जलप्लावन से बचाव किये गये हैं।

इन कार्यों के फलस्वरूप तटबन्धों के क्षतिग्रस्त होने पर जलप्लावन, जन-धन की हानि एवं फसलों की हानि शून्य हो गई है। नदियों और तटबन्धों के किनारे बसी जनता पहली बार वर्षाकाल में प्रदेश सरकार के उक्त कार्यप्रणाली से अपने आपको सुरक्षित महसूस कर रही है। सरकार द्वारा वर्तमान नदियों के कैचमेन्ट में कहीं भी वर्षा/अतिवृष्टि होने की दशा में नदियों के विभिन्न स्थानों पर जल ग्रहण करने से लेकर उत्तर प्रदेश की सीमाओं में पड़ने वाले विभिन्न स्थानों का उच्च स्तर पर अनुश्रवण करते हुए सम्बंधित जिला प्रशासन एवं सम्बंधित अधिकारियों को पूर्व में बाढ़ से निपटने की तैयारियों के लिए चेतावनी भी दी जा रही है।

प्रदेश सरकार की सुदृढ़, सुव्यवस्थित एवं बाढ़ से बचाव की परियोजनाओं, तटबन्धों के निर्माण लगातार पर्यवेक्षण के कारण ही प्रदेश में बाढ़ का असर बहुत कम हो गया है और ऐसे क्षेत्रों की जनता, किसान अपने को बाढ़ से संरक्षित महसूस कर रहे हैं।

News Desk

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