कैलेजियन की होमियो चिकित्सा
कैलेजियन आंख की पलक में स्थित एक छोटा सा कठोर आबूर्द या गाँठ होता है जो मोबोमियन ग्रंथि के स्राव से भर जाने से फूल जाने के कारण होता है। यह मीयोमियन ग्रंथि की जीर्ण असंक्रामक कणिकागुल्मीय प्रदाह होता है .
इसको टार्सल या मीबोमियज सिस्ट भी कहते है . कारण : • यह रोग किसी भी उम्र में हो सकता है पर ज्यादातर बच्चों और वयस्कों में देखा जाता है।आंख के अत्याधिक प्रयोग और दृष्टि युक्ति दृष्टि होने से या आंख को बार बार रगड़ने से भी हो सकता है । • जीर्ण दुर्बलता या चयापचय सम्बन्धी कारणों से भी हो सकता है ।
सबसे पहले बहुत ही कम श्रेणी को विषाक्त जीवों द्वारा मीबोमियन ग्रंथि का मंद श्रेणी का संक्रमण होता है . इसकी वजह से उपकला का प्रफलन और नलिका से रिसाव होने लगता है और नलिका में रुकावट आ जाती है .
मीबोमियन ग्रंथि का स्वाव जमा होने लगता है और ग्रंथि फूल जाती है . यह दबा हुआ स्राव क्षोभक की तरह काम करता है और मीबोमियन ग्रंथि में जीर्ण असंक्रामक कनिकागुल्मीय प्रदाह कराता है .
लक्षण : आंख की पलक में दर्द रहित सूजन या गांठ होती है . पलकों में भारीपन महसूस होता है .
यह गांठ पतक के किनारे से थोड़ी दूरी पर होती है . पलकों को पलट कर देखें तो श्लेषमा पर बह क्षेत्र लाल या नीलापन लिए रहता है कभी – कभी कैलेजियन किनारों पर भी होता है एक साथ कई कैलेजियन एक या दोनों पलको पर हो सकता है Complication : – अगर इलाज में किया गया तो धीरे – धीरे इसका आकार बढ़ता जाता है . अगर ऊपरी पलक पर है तो नेत्रपटल को दवा देता है और दृष्टि वैषम्य उत्पन्न याराता है
जिसकी वजह से घुंधला दिखाई देने लगता है . अगर नीचे की पलकों पर बहुत बड़ा केलेजियन हो जाए तो पलक उलट सकती है और अधिक मात्रा में आधु उत्पन्न होने लगता है
अगर कैलेजियन द्वितीय संक्रमण हो जाए तो आंतरिक गुहेरी हो जाती है . ‘ कभी – कभी इसमें कैल्शियम भी जमा हो जाता है , पर ऐसा बहुत कम होता है . 0 आगे चलकर यह मीबोमीयन ग्रंथि के कैन्सर का रूप भी ले सकता है
होमियोपैथिक उपचार। स्टेफसिग्रिया : कैलेजियन की यह एक मुख्य दवा है . अगर कैलेजियन बार – बार हो तो उस प्रवृति को यह कम करती है , मरीज की आंख धंसी हुई रहती है और नीले घेरे होते है . प्लेटनस ऑक्सीडेन्टलिस वह दवा नए और पुराने दोनों अवस्या के कैलेजियन या टार्सल ट्यूमर में अच्छा काम करती है
बहुत पुरानी अवस्या जिसमें पलकों में विरूपता आ गई हो , उसमें भी यह दवा बहुत उपयोगी है . बच्चों में यह दवा और भी अच्छा काम करती है इस दवा का मदर टिंचर प्रयोग करना चाहिए। थूजा : – कैलेजियन या टार्सल ट्यूमर में यह दवा भी बहुत उपयोगी है , पलकों अथवा भौहों में स्नायुशूल हो सकता है
पत्साटिला : – बार – बार होने वाले कैलेजियन और गुहेरी में यह दवा भी अच्छा कार्य करती है , आंख में खुजली और जलन होती है , इस मरीज की शिकायत गरम कमरे में जाने से बढ़ जाती है
काली हाइड्रो : – नेत्रगुहा में हड्डी के जैसा कठोर अबूर्द के लिए उपयोगी दवा है . कोनियम मैक : – आंख में चोट लगने के बाद होने वाली आंख की परेशानियों के लिए अच्छी दवा है
इसके मरीज को रोशनी पर्दाश्त नहीं होती .अखें बंद करने पर मरीज को पसीना आ जाता है . कैल्केरिया फ्लोर : – कैलेजियन और गुहेरी के लिए मुख्य दया है , पलकों पर होने वाले अबूर्द
मोबीमियन ग्रंथि के बढ़ जाने पर और पलकों की त्वचा के नीचे होने वाले सिस्ट में यह दवा अच्छा कार्य करती है .
डॉ वेदप्रकाश
नवादा (बिहार)