सुरक्षा परिषद में अमेरिका-जर्मनी ने रोके चीन के भारत विरोधी कदम
कराची में हाल ही में हुए आतंकी हमले की निंदा करने वाले बयान को अमेरिका और जर्मनी ने दो बार सिर्फ इसलिए रुकवाया क्योंकि इसमें पाकिस्तान ने भारत को दोषी ठहराया था।
साथ ही प्रधानमंत्री इमरान खान ने ओसामा बिन लादेन को शहीद कहा। ऐसा इसलिए ताकि पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दिया जा सके। पाकिस्तान द्वारा प्रस्तावित किए इस बयान का प्रस्ताव चीन ने रखा था।
कराची स्टॉक एक्सचेंज पर हुए आतंकी हमले की निंदा करते हुए चीन ने यह चाल भारत के खिलाफ चली, लेकिन अमेरिका और जर्मनी द्वारा आपत्ति जताने सेे उसे करारा झटका लगा।
प्रेस वक्तव्य में देरी कराने वाला अमेरिका दूसरा देश था। उससे पूर्व जर्मनी ने मंगलवार को बयान जारी जारी होने से कुछ मिनट पहले इस पर आपत्ति जताकर इसे रोक लिया था।
दोनों देशों का यह कदम भारत के साथ उनके मजबूत रिश्तों की तरफ एक इशारा है। बता दें कि कराची स्टॉक एक्सचेंज में हुए आतंकी हमले के लिए पाकिस्तान विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी और उसके बाद पीएम इमरान खान ने भारत को जिम्मेदार ठहराने का बयान दिया था। हालांकि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इस तरह के बयान एक सामान्य प्रक्रिया है और इसका भारत से दूर-दूर तक कोई लेनादेना नहीं है। लेकिन इसमें भी दो बड़े देश खुलकर भारत के समर्थन में खड़े हुए।
चीन ने कराची हमले में मारे गए लोगों के प्रति शोक प्रकट करते हुए पाकिस्तान के साथ अपने मजबूत रिश्ते दिखाने के मकसद से यह ड्राफ्ट तैयार किया था।
यूएनएससी के नियमों के अनुसार, न्यूयॉर्क के स्थानीय समयानुसार यदि कोई भी सदस्य शाम 4 बजे तक इस पर आपत्ति नहीं जताता है, तो पास करार समझा जाता है। इसी कारण चीन ने इसे शांत प्रक्रिया के तहत पेश किया, जिस पर दो देशों ने आपत्ति जताई।
अब जो बयान पास हुआ है उसमें केवल कराची में हुए आतंकी हमले की निंदा की गई है। इसके लिए भारत या किसी और देश पर किसी तरह का कोई आरोप नहीं लगाया गया है।