उत्तर प्रदेश

Aligarh:कई मामलों में घिरे हरदुआगंज चौकी प्रभारी जितेंद्र सिंह लाइन हाजिर

उत्तर प्रदेश के समाज में सामाजिक मुद्दों का परिचय देने के लिए एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने पुलिस की व्यवस्था पर सवाल उठाया है और उसके साथ ही सामाजिक नैतिकता की भी समीक्षा की जा रही है। Aligarh के कस्बे में चौकी प्रभारी के खिलाफ उठाए गए मुकदमों ने सामाजिक चरम पर रोष और चिंता का संदेश दिया है।

मुकदमों में बताया गया है कि चौकी प्रभारी को अनावश्यक धाराएं बढ़ाने, गलत विवेचना करने और जनता के साथ गलत व्यवहार करने के आरोप लगाए गए हैं। यह मामला समाज के न्याय और सजाय की मूल्यांकन को उजागर करता है और पुलिस व्यवस्था की गंभीरता को सामने लाता है।

 मुकदमों में अनावश्यक धाराएं बढ़ाने, गलत विवेचना करने तथा जनता के साथ गलत व्यवहार करने के कई मामलों में घिरे कस्बा चौकी प्रभारी को 9 फरवरी की रात एसएसपी के आदेश पर लाइन हाजिर कर दिया गया है। रात में ही उनकी थाने से पुलिस लाइन के लिए रवानगी कर दी गई है।

लाइन हाजिर हुए कस्बा चौकी प्रभारी जितेंद्र सिंह के विरुद्ध भवनगढ़ी गांव निवासी अधिवक्ता महान प्रताप सिंह ने एसएसपी समेत मुख्यमंत्री को शिकायती पत्र भेजकर एक मुकदमे में अनावश्यक रूप से लेन-देन कर चौथ वसूली की धाराएं बढ़ाने की शिकायत की थी।

कहा था कि वादी की तहरीर में चौथ वसूली का कोई उल्लेख नहीं था। वहीं कस्बे में हुई दुर्घटना के एक मामले में घटना के दौरान जट्टारी में मौजूद टेंपो को कार्रवाई में शामिल कर गलत विवेचना के मामले में टेंपो स्वामी महेश चंद ने शिकायत की, जिसके बाद जांच में कस्बा इंचार्ज की लापरवाही सामने आई और एसएसपी ने पुनः विवेचना के आदेश दिए थे।

वहीं चोरी के एक मामले में चोरों के पकड़े जाने और सामान बरामद हो जाने के बावजूद तहरीर लेकर मुकदमा दर्ज न करने के मामले में भी अधिकारियों से शिकायत हुई थी। माना जा रहा है कि इन्हीं सब शिकायतों के चलते कस्बा इंचार्ज को लाइन हाजिर किया गया है।

इस मामले में अधिवक्ता महान प्रताप सिंह ने एसएसपी समेत मुख्यमंत्री को शिकायती पत्र भेजकर अनावश्यक रूप से लेन-देन कर चौथ वसूली की धाराएं बढ़ाने का आरोप लगाया। इसके साथ ही एक मामले में टेंपो को गलत विवेचना के आरोप में भी शिकायत की गई है।

इस मामले में गंभीरता को और भी बढ़ा देता है कि चोरी के मामले में चोरों के पकड़े जाने के बावजूद तहरीर लेकर मुकदमा दर्ज न करने के आरोप भी लगाए गए हैं। यह विवेचना का स्तर को साहसिक रूप से परिभाषित करता है और सामाजिक नैतिकता की धारा में अविश्वास का उत्पन्न करता है।

इस घटना से सामाजिक मोरल और नैतिकता की कमजोरी का पता चलता है। यह सामाजिक न्याय के प्रति विश्वास को खतरे में डालता है और लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। पुलिस व्यवस्था में इस तरह की घटनाओं का समाधान अत्यंत आवश्यक है।

उत्तर प्रदेश की सरकार को इस मामले पर गंभीरता से संज्ञान लेना चाहिए और सामाजिक न्याय और सुरक्षा की सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए। पुलिस अधिकारियों को नैतिकता और कानूनीता के मामले में सख्ती से कार्रवाई करनी चाहिए ताकि लोग पुलिस के प्रति भरोसा बनाए रख सकें।

इस तरह की मामलों को समाधान करने में सरकार और पुलिस व्यवस्था को समर्थ होना चाहिए। इससे समाज में न्याय और सुरक्षा का माहौल बना रहेगा और सामाजिक मोरल को बढ़ावा मिलेगा।

 

News Desk

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