Khatauli: हम नहीं लोग कह रहे है…तोते क्यूं उड़े भाजपाइयों के? हार में Media की दूरी ने भी अपना अहम रोल निभाया
हम नहीं लोग कह रहे है कि Khatauli केउपचुनावों ने भाजपाईयों को आईना देखने को मजबूर कर दिया। मिशन 2024 से पहले उन्हें अपने गिरेबान में झांककर अपनी कमियों पर लगाम कंसनी होगी अन्यथा चुनावी परिणाम टेढे-मेढे नजर आयेंगे। लोग कहते है कि कुत्ता पाल, बिल्ली पाल, गाय पाल, बकरी पाल, परन्तु मुगालता कभी मत पाल, बस यही मुगालता भाजपाईयों को ले डूबा। खतौली उपचुनाव में जहां दलित एवं अन्य बिरादरी भाजपा से छिटकती नजर आयी वहीं पर जाट और मुसलमान भी अपेक्षित साथ नहीं दे पाये।
पूरे चुनाव में केन्द्रीय मंत्री जी के बिगड़ने बोल ‘जो दम्भ का प्रतीक माने जा रहे थे’ ने इस आग में घी का काम किया। लोगों का मानना है कि अभी तो मंत्री जी को कोई फर्क नजर नहीं आयेगा, लेकिन मिशन
2024 के तहत यदि पार्टी ने उनकी जगह किसी और का टिकट पक्का कर दिया तो उनके राजनीतिक कैरियर का क्या भविष्य होगा, यह उन्हें सोचना चाहिए।
हमने चुनावी भागदौड़ के दौरान संभावना व्यक्त की थी कि हार-जीत का अन्तर ज्यादा नहीं रहेगा;अन्तर 22000 हजार के आसपास रहा जो सटीक उतरा। इस चुनाव में भाजपाई संगठन के लोग भी रस्म
अदायगी के नाम पर खतौली क्षेत्र में घूमते नजर आये। लोगों में चर्चा है कि असंतुष्टों की हालत यह थी कि वे खाना खुराक, दिहाड़ी और गाड़ी लेकर मौज मस्ती करते नजर आये। राजकुमारी को जो वोटें मिली
उनके पीछे योगी व उनके सिपहसलारों के दौरे व जनसभाओं का खेल रहा। राजकुमारी की हार पर अनेक क्षेत्रों में असंतुष्टों द्वारा जश्न मनाये जाने की चर्चा ने भी संगठन के लोगों को चैंका दिया है।
खतौली की हार में भाजपाईयों और मीडिया की दूरी ने भी अपना अहम रोल निभाया।
भाजपा के कर्णधारों ने मीडिया की नाराजगी दूर करने की जरूरत नहीं समझी और न पत्रकारों के दौरे कराये गये और न जिले में आने वाले बड़े नेताओं की प्रेसवार्ता ही करायी गई। संगठन में मीडिया का काम देखने वाले लोग प्रेसवार्ता की रसीद कटवाने और पत्रकारों के जलपान पर पैसा खर्च करने से बचते रहे, जबकि संगठन के गलियारों में चर्चा है कि इसके लिए उन्हें मोटा माल पहले ही दे दिया गया था। लोग कहते है कि पूरे चुनाव के दौरान भाजपाई कवाल कांड का रोना रोने और मदन भैया को बाहुबली बताने में अपनी एनर्जी लगाते रहे..
जबकि दूसरी और रालोद मुखिया ने इस चुनाव को मूंछ का सवाल समझते हुए दिन रात एक करके अपना कैंप खतौली क्षेत्र में जमाये रखा और रूठे हुए लोगों को मनाने के लिए वे खुद चलकर उनके घरों तक पहुंचे। लोगों का कहना है कि गठबंधन की जीत से भाजपाईयों का दिल दिमांग हिल गयाा है। यहीं कारण था कि मतगणना के दौरान भाजपा के बड़े नेता एक जनप्रतिनिधि के घर पर चाय-पकौड़ो का आनन्द लेते नजर आ रहे थे।