विवेक विद्या मंदिर में गोष्ठी का आयोजन
मुजफ्फरनगर। (डा0 संजय अग्रवाल द्धारा) जानसठ रोड स्थित विवेक विद्या मंदिर में सूचना का अधिकार 2005 के ज्वलंत विषय पर एक बौद्धिक विचार गोष्ठी एवं कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में श्रीराम कालेज के लॉ डिपार्टमेंट के प्राचार्य रविंद्र चौहान उपस्थित हुए। कार्यक्रम की अध्यक्षता पत्रकारिता और जनसंचार विभाग के प्राचार्य रवि गौतम ने की। इस अवसर पर बोलते हुए विद्याधर पाण्डेय ने बताया कि इस कानून के बन जाने से हमे अधिकारों एवं दायित्वों का बोध होता है चूंकि भारत जैसे लोकतांत्रित देश में कानून का शासन है। उन्होंने बताया कि व्यक्ति को अपने मूल अधिकारों का ज्ञान नहीं होता और वह इनसे अनभिज्ञ रहता है। इस कानून के लागू होने से वह अपने अधिकारों के प्रति सजग हो गया है। यह वस्तुतः सरकारी एजेंसियों पर दबाव बनाने के लिए कारगर है। उन्होंने सूचना के अधिकार विषय पर इसकी बारीकियों को समझाया और कहा कि इससे जवाबदेही तय होने लगेगी। मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए श्रीराम कालेज के प्राचार्य रविंद्र चौहान ने कहा कि भारत में मानव कल्याणकारी राज्य मौजूद है और वर्ष 1997 में राजस्थान में यह कानून लागू हो गया था। इससे पूर्व 1776 में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सबसे पहले स्वीडन में इसे लागू किया गया था। उन्होंने बतायाकि उत्तर प्रदेश में इस कानून के लागू होने की काफी कठिनाई लोगों को झेलनी पडी। लोग पहले जनसूचना अधिकारी और बाद में अपीलीय अधिकारी से सम्पर्क करते थे बाद में सरकार ने परेशानियें को देखते हुए वर्ष 2015 में राज्य सूचना आयेग का गठन किया और तब से यह कारगर हो गया। अब इसमे पांच सौ शब्दों की सीमा तय कर दी गयी है और कोई भी जवाब मांगा जा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि सूचना के अधिकार के तहत केवल प्रत्येक भारतवासी को यह अधिकार है कि वो जानकारी ले सकता है न कि किसी संगठन विशेष को। इस अवसर पर बोलते हुए रवि गौतम ने कहा कि इस कानून के बन जाने से यद्यपि सरकारी एजेंसियों और विभागों को परेशानी हुई है और शुरू में लोगों ने इसे हल्के रूप में लिया लेकिन जब लोगों के उत्पीडन होने लगे और राज्य सूचना आयोग ने इसका संज्ञान लेना शुरू किया और जुर्माना करना शुरू किया तो इसका वजन बढ़ने लगा। उन्होंने उपस्थित श्रोताओं से कहा कि वे इसके प्राविधानों को समझे और इसे लागू करने में मदद करे। इस अवसर पर एडवोकेट नीरज शर्मा, गौरव गोयल, लोकेंद्र आर्य, संजीव संगम, लीलूराम आदि उपस्थित हुए ओर उन्होंने भी अपने विचार प्रकट किये।