वैश्विक

देश ने बच्चों के टीकाकरण और खसरा और दस्त सहित घातक बीमारियों से लड़ने में प्रभावशाली प्रगति की-Catherine M. Russell

UNICEF की कार्यकारी निदेशक Catherine M. Russell ने लाखों बच्चों के स्वास्थ्य और विकास में जीवन रक्षक प्रगति को रेखांकित करने के लिए आज भारत की चार दिवसीय यात्रा संपन्न की. साथ ही, उन्होंने विश्व के सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने के लिए वैश्विक नेताओं से बच्चों में निवेश को प्राथमिकता देने का आह्वान भी किया.

Catherine M. Russell ने कहा, “भारत में दुनिया की सबसे बड़ी बाल आबादी है. सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं में निवेश करके, देश ने बच्चों के टीकाकरण और खसरा और दस्त सहित घातक बीमारियों से लड़ने में प्रभावशाली प्रगति की है, जबकि लाखों बच्चों को कुपोषण से भी बचाया है”

Catherine M. Russell ने कहा. “भारत की महिला नेतृत्व वाली फ्रंटलाइन कार्यकर्ता एक सफलता की कहानी है, जिससे हम सभी सीख सकते हैं. भारत के गांवों में काम करते हुए, वे हर एक परिवार के बच्चों और परिवारों के स्वास्थ्य और कल्याण में सुधार कर रही हैं . 2014 में, भारत को पोलियो-मुक्त प्रमाणित किया गया . 2015 में, भारत ने मातृ एवं नवजात टेटनस को समाप्त कर दिया. 2011 से 2020 तक शिशु मृत्यु दर में 35 प्रतिशत की कमी आई है. यूनिसेफ की कार्यकारी निदेशक ने 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की जयंती पर राजघाट में गांधी स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित करके अपनी भारत यात्रा की शुरुआत की.

Catherine M. Russell ने भारत सरकार के वरिष्ठ नेतृत्व, बच्चों, युवाओं और स्थानीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं सहित उनके समुदायों से मुलाकात की. उन्होंने लखनऊ में महिला फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं से मिलने के लिए भारत के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य, उत्तर प्रदेश का दौरा किया और भारत भर में सबसे कठिन पहुंच वाले समुदायों में जीवन बचाने के लिए आवश्यक सेवाओं की एक सीरीज प्रदान करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को प्रत्यक्ष रूप से देखा.

Catherine M. Russell ने लखनऊ के एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं सुधात्री (आशा – मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता), और सरोजिनी (आंगनवाड़ी / फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कार्यकर्ता) से मुलाकात की और देखा कि वे महिलाओं और बच्चों को जीवन रक्षक पोषण सेवाएं प्रदान करने के लिए किस तरह डिजिटल पोषण ट्रैकर का उपयोग करती हैं.

27 वर्षीय ज्योति और उसके 42 दिन के शिशु, अयांश की देखभाल को करीब से जानने के लिए रसेल बाराबंकी ब्लॉक की एक फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कार्यकर्ता ललिता के घर भी गयीं. ललिता जैसी आशा कार्यकर्ता माताओं को स्तनपान के बारे में बताती हैं और यह सुनिश्चित करती हैं कि नवजात शिशुओं का समय पर टीकाकरण हो. वे नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य और समग्र स्थिति का भी मूल्यांकन करती हैं और चेतावनी के संकेतों को साझा करने के साथ स्वास्थ्य समस्याओं को भी सुलझाती हैं.

News Desk

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