सरेंडर नहीं संघर्ष करने को तैयार रहें किसानः चौ. Rakesh Tikait
मुजफ्फरनगर। (Muzaffarnagar News)।भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के संस्थापक अध्यक्ष स्वर्गीय चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत की ८८वीं जयंती शुक्रवार को सिसौली स्थित किसान भवन समेत देशभर में जिला मुख्यालय और गांवों में अनेक जगहों पर मनाई गई।
सिसौली में किसान भवन पर बाबा महेन्द्र सिंह टिकैत के स्मृति स्थल पर पहुचे केंद्रीय राज्यमंत्री डा. संजीव बालियान और रालोद विधायकों समेत देश के दूसरे राज्यों से आये किसान नेताओं तथा अन्य लोगों ने पहुंचकर बाबा महेन्द्र सिंह टिकैत और खेती एवं किसानी बचाने के लिए किये गये उनके आंदोलन को याद करते हुए पुष्पांजलि अर्पित की। इससे पूर्व यहां चल रहे सामवेद परायण यज्ञ में किसानों ने आहुति दी। इस दौरान गांव गांव टैऊक्टर और पशु प्रमुख बनाने के नये अभियान की जानकारी देते हुए किसानों से सरेंडर नहीं संघर्ष करने का आह्नान किया गया। किसान भवन से सरकारों के लिए कर्ज नहीं भाव चाहिए का नया नारा भी दिया, जिसके सहारे आंदोलन की डोर पकड़ने की अपील की गयी।
स्व. महेन्द्र सिंह टिकैत के जन्म दिवस पर किसान भवन सिसौली में बड़ा कार्यक्रम हुआ। यहां पर दो दिन से चल रहे सामवेद परायण यज्ञ का आज सवेरे समापन हुआ। इसमें भाकियू अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत, राष्ट्रीय प्रवक्ता चौ. Rakesh Tikait और युवा विंग के अध्यक्ष गौरव टिकैत के अलावा केन्द्रीय राज्यमंत्री डॉ. संजीव बालियान, मास्टर विजय सिंह सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति भी शामिल हुए। इसके पश्चात कार्यक्रम का आगाज हुआ। यहां गोल्डन बेल्स अकादमी, ज्ञानदीप पब्लिक स्कूल और मून लाइट पब्लिक स्कूल के छात्र छात्राओं ने खेती और किसानी विषयों पर सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये।
जयंती समारोह को सम्बोधित करते हुए भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौ. Rakesh Tikait ने कहा कि आज टिकैत जयंती पर कहीं रक्तदान तो कहीं फल वितरण, कहीं पर भण्डारा किया गया। उद्देश्य यही था कि एक जगह भीड़ एकत्र न होकर विचारों को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जाये, क्योंकि कोई भी व्यक्ति अपने विचारों से ही हमेशा हमेशा के लिए जीवित रहता है। विचार को कोई नहीं मार सकता है।
Rakesh Tikait ने कहा कि देश की सरकारें गलत नीतियों को लाकर किसानों और मजदूरों के साथ छेड़खानी कर रही है। उनकी नीतियों को समझने की जरूरत है। अभी हाल ही में भारत सरकार ने घर घर कर्ज देने का ऐलान किया है। सभी लोग खुश हो रहे है। महेन्द्र सिंह टिकैत इस तरह के कर्ज के शुरू से ही विरोध किया। इसके लिए आंदोलन हुआ। १९८८ में हमने भी बैंक से कर्ज लेकर एक ट्रैक्टर लेने का प्रयास किया और कर्ज लेने के लिए कागजों पर उनका अंगूठा लगवाने पहुंचे तो उन्होंने इंकार कर दिया। आज सरकार घर-घर क्रेडिट कार्ड देने की तैयारी कर रही है।
बड़ी कंपनियों से मिलीभगत कर यह कर्जा देने की तैयारी है। केसीसी वाले किसानों से वसूली की टीम छोड़ी जायेगी। कर्ज से निजात नहीं मिल पायेगी। इसी कर्ज में किसान की जमीन ले ली जायेगी। बाजार भाव से भी ज्यादा मूल्य पर जमीन बैंक वाले ले लेंगे। पैसा जमा होने के बदले जमीन जमा की जायेगी। किसान तीन कृषि कानूनों के सहारे कब्जे में नहीं आये, तो इनको ऐसे कर्ज में फंसायेंगे। इन कानूनों के सहारे प्लान था कि ३० साल में किसानों की जमीन ले ली जायेगी। आंदोलन हुआ तो सरकार ३० साल पीछे चली गयी है। आज आंदोलन की आवश्यकता है। किसानों को आवाज उठानी चाहिए कि कर्जा नहीं फसल का दाम चाहिए।
उन्होंने कहा कि आज शामली जनपद में सभी शुगर मिलों ने गन्ना मूल्य का भुगतान रोक लिया। धरना चल रहा है। मजबूती के लिए एकजुटता जरूरी है। जमीन और खेती बचाने के लिए आंदोलन करने होंगे। यहां से हजारों ट्रक भरकर धान हरियाणा और पंजाब जा रहे हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश से एमएसपी पर धान खरीदकर दूसरे राज्यों में ले जा रहा है। महेन्द्र सिंह टिकैत के जाने से आंदोलन खत्म नहीं हुए और हमारे जाने से भी नहीं होंगे, लेकिन इसके लिए तैयारी अभी से करनी होगी। पूंजीवादियों का प्लान है कि १००वीं आजादी की वर्षगांठ में ७० प्रतिशत जमीन किसानों से ले ली जाये।
आंदोलन ने ही उनको पीछे हटाया है। ये कंपनियां राजा-रजवाडों और जागीरदार से भी ज्यादा खतरनाक हैं, सावधान रहने की आवश्यकता है। आने वाली स्थिति ज्यादा खराब होगी। चार साल बाद अग्निवीर भर्ती वाले युवाओं को ये कंपनियां आपके सामने ही खड़ा कर देगी। भविष्य में संघर्ष कड़ा होगा, ऐसे में सोच लो सरेंडर नहीं संघर्ष नहीं करना होगा। इस संघर्ष में हमारा प्रमुख साधन ट्रैक्टर होगा। ये लोग कलम के कातिल हैं। हमें बंदूक से नहीं कलम के कातिलों से डरना है। किसानों को अपना कर्ज उतारना होगा। कर्ज में बंधा तो आंदोलन से हटता जा रहा है किसान।
फसलों पर ही हमें कर्जा करना और आंदोलन में समय देना है। दिल्ली के लोग आज पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जमीन बेचकर फार्म हाउस बना रहे हैं। जमीन बेचकर मार्बल लग गये दिल्ली वालों ने, पैसा तो उनके पास आ गया, लेकिन खेती खत्म होने से इनका टाइम नहीं कट रहा।
Rakesh Tikait ने कहा कि किसानों को जमीनों में खाद के प्रति भी जागरुक होना होगा, दवाईयों को धीरे धीरे कम करना होगा। बीज कंपनी और दवा कंपनियों की साठगांठ हो गई है। इसको भी समझना होगा। रसायनिक खाद का साथ छोड़ना होगा। हर जगह समस्या है, लड़ाई लड़नी होगी। मीडिया पर भी सरकारों का अंकुश है। अगर फिर से इनकी सरकार आई तो अक्टूबर २०२५ में मीडिया का अस्तित्व खत्म हो जायेगा।
एक नेशनल मीडिया हब बनेगा और वहीं से सभी को खबर मिलेगी। मीडिया सिस्टम पर भी बड़ा संकट होगा। उन्होंने मंदिरों की सम्पत्तियों की सुरक्षा का आह्नान करते हुए कहा कि अपने गांवों में मंदिरों का ट्रस्ट बनवा लेना, मंदिरों की जमीन पर भी कब्जे…