ठोस सबूतों के अभाव में Aurangabad हथियार बरामदगी मामले में दोषी बिलाल अहमद को जमानत
2006 के Aurangabad हथियार बरामदगी मामले में बांबे हाईकोर्ट ने दोषी बिलाल अहमद को जमानत दे दी है। बिलाल अहमद पिछले 16 साल से जेल में है और आजीवन सजा काट रहा है। हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि केवल आतंकवादियों की एक बैठक में भाग लेना या जिहाद में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया जाना, यह मानने के लिए पर्याप्त नहीं है कि संबंधित व्यक्ति जिहाद में एक प्रमुख भूमिका निभाने के लिए तैयार था।
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति वीरेंद्रसिंह बिष्ट की खंडपीठ ने शुक्रवार को अपने जमानत आदेश में कहा कि बिलाल अहमद के खिलाफ अन्य सह-आरोपियों के इकबालिया बयान थे कि वह बैठक में शामिल था, लेकिन यह अन्य ठोस सबूतों के अभाव में पर्याप्त नहीं होगा।
इस मामले का पीएम मोदी से भी बड़ा कनेक्शन है। मामले की सुनवाई के दौरान यह बात सामने आई थी कि इनका मकसद नरेंद्र मोदी और प्रवीन तोगड़िया को मारना था। इस मामले में सात आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था। 2016 में मुकदमे की सुनवाई करने वाले विशेष न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा था कि ये सभी आरोपी गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की एक बड़ी साजिश का हिस्सा थे।
आरोपी को विशेष न्यायाधीश द्वारा एमसीओसी अधिनियम के तहत गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए), विस्फोटक पदार्थ अधिनियम और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया था। अहमद को 2016 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
मई 2006 को राज्य के आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) को गुप्त सूचना मिली थी कि एक जीप में भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद लदा हुआ है जिसे औरंगाबाद ले जाया जाना है।एटीएस ने पीछा करके जीप को रोक लिया गया और मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया। बाद में आरोपियों के बयान के आधार पर बिलाल अहमद को गिरफ्तार किया गया।
इसी मामले की सुनवाई के दौरान विशेष न्यायाधीश ने इकबालिया बयानों का विश्लेषण करने के बाद निष्कर्ष निकाला था कि बरामद हथियारों, गोला-बारूद और विस्फोटकों का इस्तेमाल गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और विश्व हिंदू परिषद के नेता प्रवीण तोगड़िया को मारने के लिए किया जाना था।
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