बोन मैरो प्लाज़्मा सेल शरीर की रक्षा करने वाली एंटीबॉडीज़ का आवश्यक साधन: नेचर
कोविड-19 के किसी मरीज में इस रोग के प्रति एंटीबॉडीज़ वाली इम्युनिटी स्वस्थ होने के एक साल तक ही रहती है। लेकिन, इस बात से खौफजदा होने की ज़रूरत नहीं क्योंकि शरीर के पास दोबारा संक्रमण होने की स्थिति में रोग से लड़ने के लिए प्रतिरक्षा के लिए टी और बी सेल्स की व्यवस्था भी रहती है।
एक साल में इम्युनिटी खत्म होने वाली बात ब्रिटेन की पत्रिका नेचर में छपी है। इसके मुताबिक एक अध्ययन से पता चला है कि स्वस्थ होने के एक साल के बाद शरीर का इम्यून सिस्टम (रोग प्रतिरक्षण प्रणाली) SARS-CoV-2 यानी कोरोना वाइरस को पहचान कर उससे खुद को बचाने की क्षमता खो देता है। यह अध्ययन वॉशिंग्टन यूनिवर्सिटी की एक टीम ने किया है।
इसमें बताया गया है कि बोन मैरो प्लाज़्मा सेल कोविड संक्रमण के 11 महीने तक ही बची रह पाती हैं। बोन मैरो प्लाज़्मा सेल शरीर की रक्षा करने वाली एंटीबॉडीज़ का आवश्यक साधन होती हैं, जो कोरोना वाइरस के प्रोटीन से बने कांटेदार उभारों से चिपक जाती हैं।
अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि कोरोना वाइरस की एंटीबॉडीज़ संक्रमण के चार महीने बाद तेजी से घटने लगती हैं। यह घटाव अगले सात महीने तक जारी रहता है अलबत्ता गिरावट की रफ्तार कम हो जाती है। ऐसा इसलिए होता है कि संक्रमण के कुछ महीने बाद प्लाज़्मा-ब्लास्ट नाम की अल्पायु सेल्स द्वारा स्रवित, यानी बाहर फेंक दी जाती हैं। रिसर्च में बताया गया है कि रोगकारी विषाणु का खतरा खत्म हो जाने के बाद प्लाज़्मा सेल्स बोन मैरो में ही रहती हैं।
तीन महीने बाद एंटीबडीज़ के घटने की बात पहले भी कुछ अध्ययनों में आई है। इसके बाद इस भय को बल मिला कि ठीक होने के बाद व्यक्ति को पुनः कोरोना का संक्रमण हो सकता है। लेकिन, अपनी रक्षा यानी इम्यूनिटी के लिए शरीर के पास एंटीबॉडीज़ के अलावा भी टी-सेल्स और बी-सेल्स जैसे संसाधन होते हैं। खून में पाई जाने वाली इन सेल्स को शरीर की रक्षा के लिहाज से किलर सेल की संज्ञा दी जाती है। टी-सेल्स एक प्रक्रिया शुरू करती हैं जिससे बी-सेल्स एक्टीवेटेड (सक्रिय) हो जाती हैं। ये एक्टीवेटेड बी-सेल्स आगे प्लाज़्मा ब्लास्ट या प्लाज़्मा सेल का रूप ले लेती हैं।
वाइरस के हमले की याद सहेजने और दोबारा हमला होने पर उसे पहचान कर उसके खिलाफ जंग लड़ने का जिम्मा शरीर ने इन प्लाज़्मा सेल्स को ही दे रखा है।
इधर, भारत में गुरुवार को केंद्र सरकार ने गति दिवस न्यूयॉर्क टाइम्स में छपे कोविड से मौत के आंकड़ों को झूठ बताया है और कहा है कि तथ्यों की व्याख्या तोड़मरोड़ करके की गई है। इसमें कहा गया था कि भारत में मौत के सरकारी आंकड़ा 3.15 लाख का है लेकिन यह संख्या 16 लाख और यहां तक कि चालीस लाख से भी ऊपर हो सकती है।