कश्मीर के नागरिकों का सपना पूरा: जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक पारित
लोकसभा ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2021 शनिवार को पारित कर दिया। विधेयक के प्रावधानों के अनुसार मौजूदा जम्मू-कश्मीर कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा और भारतीय वन सेवा के अधिकारी अब अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और केंद्रशासित प्रदेशों के कैडर का हिस्सा होंगे।
लद्दाख के सांसद जामयांग सेरिंग नामग्याल ने विधेयक के पारित होने का स्वागत किया। उन्होंने कहा, लोकसभा में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक पास हुआ इससे राज्य के अधिकारियों को दूसरी जगह जाकर सेवा करने का मौका मिलेगा और दूसरी जगह से अधिकारियों को आकर राज्य में सेवा करने का मौका मिलेगा। इससे अनुभव और कार्य करने की क्षमता बढ़ेगी।
कश्मीरी पंडित परिवारों को हमारी सरकार हर महीने 13000 रुपये दे रही है. 370 हटने के बाद J&K में किसी के साथ अन्याय हो, उसकी संभावना को समाप्त कर दिया गया है : गृह मंत्री @AmitShah pic.twitter.com/5AMzd5gbQP
— News & Features Network (@mzn_news) February 13, 2021
इससे पूर्व गृह मंत्री अमित शाह ने इस विधेयक को लेकर हुई चर्चा का विस्तार से जवाब दिया। केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लिए भविष्य के सभी अधिकारियों के आवंटन अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और केंद्रशासित प्रदेशों के कैडर से होंगे। विधेयक के अनुसार अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और केंद्रशासित प्रदेशों के कैडर के अधिकारी केंद्र सरकार द्वारा तय किए गए नियमों के अनुसार कार्य करेंगे।
विधेयक को सरकार ने शनिवार को ही चर्चा व पारित करने के लिए लोकसभा में पेश किया था। इसमें मौजूदा जम्मू-कश्मीर कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा और भारतीय वन सेवा के अधिकारियों को अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और केंद्रशासित प्रदेशों के कैडर का हिस्सा बनाने का प्रावधान है। यह विधेयक जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) अध्यादेश का स्थान लेगा, जो पिछले महीने जारी किया गया था।
यह विधेयक राज्यसभा में पारित हो चुका है। विधेयक को लोकसभा में चर्चा और पारित करने के लिए रखते हुए गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर के नागरिकों का सपना पूरा किया है और दोनों राज्यों को विकास की ओर ले जाने का प्रयास जारी है।
हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की तरह ही लद्दाख को दिल्ली में अपना सदन मिलेगा, ये 70 साल बाद हुआ : गृह मंत्री pic.twitter.com/pyLMtlT6yZ
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विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने इसके लिए अध्यादेश लाए जाने पर आपत्ति जताई और कहा कि अगर नियमित अध्यादेश लाए जाएंगे तो संसदीय लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है।
इसका मतलब है कि सरकार ने बिना तैयारी के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटाया, अन्यथा डेढ़ साल बाद इस बारे में विचार नहीं करते। कांग्रेस नेता ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में स्थानीय कैडर जरूरी हैं
क्योंकि वहां के नागरिक इस सरकार पर भरोसा नहीं करते। चौधरी ने यह भी कहा कि सरकार ने कश्मीरी पंडितों की घाटी में वापसी कराने का आश्वासन दिया था लेकिन क्या आज तक एक भी कश्मीरी पंडित की वापसी हो सकी है।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के हसनैन मसूदी ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि पांच अगस्त 2019 को राज्य को दो हिस्सों में बांटने और अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को समाप्त करने के इस सरकार के फैसले एकतरफा थे और कश्मीर की जनता के खिलाफ आक्रमण से कम नहीं थे। हम जायज तरीके से इनका विरोध करते रहेंगे।
Lok Sabha passes The Jammu and Kashmir Reorganisation (Amendment) Bill, 2021
— ANI (@ANI) February 13, 2021
मसूदी ने कहा कि इसके विरोध में शीर्ष अदालत में याचिकाएं दाखिल की गईं जिन्हें विचारार्थ स्वीकार किया गया और संविधान पीठ को भेजा गया। मामला अदालत में विचाराधीन होने के बाद भी सरकार ने पहले कानून को लागू किया जो संविधान का अपमान है। आज लाया गया विधेयक भी उस क्रियान्वयन प्रक्रिया का हिस्सा है।
भाजपा के सत्यपाल सिंह ने चर्चा के दौरान कहा कि कि इस विधेयक के लागू होने के बाद राज्य के अधिकारियों को पता चलेगा कि देश कैसे चलता है, विकास कैसे होता है। राज्य में पिछले अनेक वर्षों में ‘नरसंहार’ की हजारों घटनाओं के बाद भी किसी को सजा नहीं मिली।