भारत का विभाजन कभी नहीं होना चाहिए था: Asaduddin Owaisi
Asaduddin Owaisi ने सोमवार को कहा कि भारत का विभाजन कभी नहीं होना चाहिए था और इसे ‘ऐतिहासिक गलती’ बताया. एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, हैदराबाद लोकसभा सांसद ने कहा कि ऐतिहासिक रूप से यह एक देश था और दुर्भाग्य से, यह विभाजित हो गया, जो नहीं होना चाहिए था.
Asaduddin Owaisi ने आगे संवाददाताओं से कहा,’ऐतिहासिक रूप से, यह एक देश था और दुर्भाग्य से यह विभाजित हो गया. ऐसा नहीं होना चाहिए था. मैं तो बस यहीं कह सकता हूं. लेकिन अगर आप चाहें, तो इस पर एक डिबेट करा लें और मैं आपको बताऊंगा कि इस देश के विभाजन के लिए कौन असली जिम्मेदार है… मैं उस समय की गई ऐतिहासिक गलती पर सिर्फ एक लाइन में जवाब नहीं दे सकता.’
Asaduddin Owaisi समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की कथित टिप्पणी पर एक सवाल का जवाब दे रहे थे कि भारत और पाकिस्तान हिंदू महासभा (Hindu Mahasabha) की मांग पर बने थे, न कि मोहम्मद अली जिन्ना के कारण.
Asaduddin Owaisi ने स्वतंत्रता सेनानी और भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद (India’s first Education Minister Maulana Abul Kalam Azad) की किताब ‘इंडिया विंस फ़्रीडम’ पढ़ने का भी सुझाव दिया और बताया कि कैसे वह कांग्रेस नेताओं के पास गए और उनसे विभाजन के इस बंटवारे के प्रस्ताव को स्वीकार न करने की आग्रह की थी.
Asaduddin Owaisi ने कहा, ‘इस देश का बंटवारा नहीं होना चाहिए था. वह गलत था. उस समय वहां जितने भी नेता थे, वे सभी (विभाजन के लिए) जिम्मेदार थे. अगर आप मौलाना अबुल कलाम आजाद की किताब ‘इंडिया विंस फ्रीडम’ पढ़ते हैं, तो मौलाना आजाद ने सभी कांग्रेस नेताओं से अनुरोध किया था कि देश का बंटवारा नहीं होना चाहिए.’उन्होंने आगे दावा किया कि उस समय के इस्लामिक विद्वानों ने भी दो-राष्ट्र सिद्धांत का विरोध किया था.