Muzaffarnagar News: राष्ट्र की धरोहर है किताबे- पीस लाईब्रेरी के मलबे में दबी किताबों को संरक्षित करने का आदेश
Muzaffarnagar News: मुजफ्फरनगर। १०० साल पुरानी पीस लाईब्रेरी ध्वस्तीकरण के मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने लाइब्रेरी के मलबे में दबी किताबों को राष्ट्र की धरोहर बताते हुए, इन्हें संरक्षित करने का आदेश दिया है। नगर पालिका को निर्देशित किया गया है कि मलबे में दबी किताबों को बाहर निकालकर सुरक्षित तथा संरक्षित करें और उनकी सूची तैयार कराएं।
जिससे २० दिन में कोर्ट को अवगत कराएं। पीस लाईब्रेरी एसोसिएशन के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट के जज मयंक जयसवाल ने यह आदेश जारी किया।
शहर के टाउनहाल रोड स्थित १०० साल पुरानी पीस लाईब्रेरी को नगर पालिका के निर्देशन में जेसीबी लगाकर ७ अक्टूबर २०२० में ध्वस्त कर दिया गया था। पीस लाईब्रेरी एसोसिएशन ने ध्वस्तीकरण के विरुद्ध कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। जिस पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने नगर पालिका परिषद के चेयरपर्सन अंजु अग्रवाल सहित कई अधिकारियों के विरुद्ध परिवाद दर्ज करने का आदेश दिया था।
पीस लाईब्रेरी एसोसिएशन के सचिव सुशील कुमार का आरोप था कि ध्वस्तिकरण गैर कानूनी तरीके से किया गया। ध्वस्तीकरण के समय पीस लाईब्रेरी में विभिन्न अलमारियों में रखी करीब २५ हजार दुर्लभ व प्राचीन तथा धार्मिक महत्व की किताबें मलबे में दबा दी गईं।
पीस लाइब्रेरी एसोसिएशन सचिव एड. सुशील कुमार का कहना है कि ऐतिहासिक महत्व की लाइब्रेरी को न सिर्फ गैर कानूनी तरीके से ध्वस्त किया गया। बल्कि उसके मलबे में गीता, रामायण व कुरआन सहित अलग-अलग भाषाओं में अनुवाद वाली विभिन्न पवित्र तथा धार्मिक पुस्तकों को दबा दिया गया।
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आरोप है कि पीस लाइब्रेरी के मलबे में करीब २५ हजार महत्वपूर्ण किताबें दबी हैं। जिनमें बुक आफ नालेज के २४ वोल्यूम, ऐनसाइक्लोपीडिया ब्रिटेनि का सहित, रविन्द्र नाथ टैगोर, प्रेम चंद, वर्ड्सवर्थ जैसे महान लेखकों की किताबें भी शामिल हैं।
नगर पालिका चेयरपर्सन अंजु अग्रवाल का कहना है कि लाईब्रेरी ध्वस्तिकरण से पहले अलमारियों में से किताबें निकलवा कर उन्हें सुरक्षित रख लिया गया था। बताया कि अलग-अलग नौ गठरियों में ५०४ किताबें रखी गई हैं। जिनकी सूची तैयार कर कर निर्धारण अधिकारी तथा ईओ की सुपुर्दगी में दी गई। यदि पीस लाइब्रेरी एसोसिएशन को वे किताबें चाहिए तो रसीद देकर किताब ले सकते हैं।