INIDA ब्लॉक से नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले जद (यू) के अलग होने की संभावना, Bihar राजद तलाश रही है विकल्प
Bihar जो हमेशा से राजनीति की धारा में बहता है, वर्तमान में एक नए राजनीतिक दौर की ओर बढ़ रहा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले तीन साल से भी कम समय में दूसरी बार पाला बदलने की तैयारी में होने का संकेत दिया है.
पिछले तीन साल से भी कम समय में दूसरी बार पाला बदलने की ओर बढ़ रहे बिहार के मुख्यमंत्री एवं जनता दल (यूनाइटेड) के अध्यक्ष नीतीश कुमार की ओर सभी की निगाहें टिक गई हैं. लेकिन वह महागठबंधन के घटक दलों की अपील को नजरंदाज करते हुए इस उठा-पठक पर अपनी चुप्पी साधे हुए हैं और हमेशा की तरह अपने काम में जुटे हुए हैं.
Bihar मुख्यमंत्री कुमार ने शनिवार को दिन की शुरुआत शहर के पशु चिकित्सा कॉलेज मैदान में कई नये अग्निशमन वाहनों को हरी झंडी दिखाकर की. इसके बाद उन्होंने एक प्रसिद्ध मंदिर के सौंदर्यीकरण परियोजना के उद्घाटन के लिए बक्सर का दौरा किया. यह कार्यक्रम पर्यटन विभाग का था और यह विभाग उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के पास है, लेकिन वह इस कार्यक्रम में मौजूद नहीं थे.
इस कार्यक्रम में मौजूद लोगों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे शामिल थे. चौबे ने बिहार में जारी राजनीतिक उथल-पुथल पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. इस बीच भाजपा की राज्य इकाई के प्रभारी विनोद तावड़े ने विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ से नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले जद (यू) के अलग होने की संभावना के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है.
जद (यू) के वरिष्ठ नेता एवं प्रवक्ता के. सी. त्यागी ने नई दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत में स्पष्ट किया कि बिहार में महागठबंधन की सरकार गिरने की कगार पर है और उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व के एक धड़े पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बार-बार ‘‘अपमान’’ करने का आरोप लगाया.
त्यागी ने कहा, ‘‘विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) भी टूटने की कगार है. पंजाब, पश्चिम बंगाल और बिहार में ‘इंडिया’ में शामिल दलों का गठबंधन लगभग खत्म हो चुका है.’’ कुमार के पटना लौटने पर, जद (यू) के शीर्ष नेताओं का पार्टी अध्यक्ष के आधिकारिक आवास पर आना शुरू हो गया है.
कुमार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने और भाजपा के समर्थन से नई सरकार के गठन का दावा पेश करने की उम्मीद है. राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के यहां 10, सर्कुलर रोड स्थित आवास पर भी एकत्र हुए. पार्टी के सभी नेताओं को अपने मोबाइल फोन आवास के गेट के बाहर जमा करने के लिए कहा गया.
इसके साथ ही, राजनीतिक समीकरण में बदलाव के चलते मुख्यमंत्री की ओर से और जनता दल (यूनाइटेड) के अध्यक्ष के रूप में नेतृत्व का पुनर्निर्माण किया जा रहा है.
हाल ही में एक प्रमुख मंदिर के सौंदर्यीकरण परियोजना के उद्घाटन के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कई नए अग्निशमन वाहनों का उद्घाटन किया, लेकिन इस घड़ी में चरा घोटाले के आरोपों ने उनकी ओर से गुजरिश को कमजोर किया है। राजनीतिक विरोधियों ने लालू प्रसाद यादव के द्वारा किए गए चरा घोटाले को उजागर करने का प्रयास किया है, जिससे नीतीश कुमार की बराबरी में चुनौती पैदा हो रही है.
इस समय, नीतीश कुमार के साथ रहे जुनूनी नेता और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की शिक्षा की बहुत ही गहरी रूप से चर्चा हो रही है। उन्होंने पर्यटन विभाग की एक महत्वपूर्ण परियोजना के उद्घाटन में हिस्सा नहीं लिया, जिससे राजनीतिक वातावरण में भी गतिशीलता आ रही है।
बिहार की राजनीति में एक और चुनौती तब है, वह है बिहार में मौजूद माफिया साम्राज्य। इस मुद्दे पर नियमित रूप से चर्चा हो रही है और लोगों की चाहत है कि नई सरकार इस समस्या का समाधान करे।
इस बीच, विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) की ओर से भी चुनौती की बातें सामने आ रही हैं। जद (यू) के नेता एवं प्रवक्ता द्वारा की गई बयानों से साफ है कि महागठबंधन की सरकार गिरने की संभावना है और वे नई सरकार बनाने की तैयारी में हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की बात बनाम भाजपा के समर्थन से नई सरकार का गठन करने की उम्मीद है। इस परिस्थिति में, विपक्षी गठबंधन के अंग भी अपने दिशा-निर्देशों की तलाश में हैं और यह बिहार की राजनीति में एक नए युग की शुरुआत कर सकते हैं।
बिहार की राजनीति में चल रहे इस बदलाव का सीधा असर लोगों की जीवनशैली और राजनीतिक दृष्टिकोण पर हो रहा है। जब तक यह दौर अगले चुनावों में रूप बनाए रखता है, बिहार की जनता को इस पर नजर बनाए रखना होगा।