Respiratory Emergency: श्वसन संबंधी आपातकालीन स्थितियां और उसका उचित होमियोपैथिक निदान
Respiratory Emergency: श्वसन संबंधी आपातकालीन स्थितियों में से निमोनिया भी एक है . मैं इस आलेख में निमोनिया से संबंधित बातों का उल्लेख कर रहा हूं. पहले लोग समझते थे कि निमोनिया का उचित इलाज एलोपैथिक द्वारा ही संभव है होमियोपैथिक दवाओं से इसका निदान संभव नहीं है ; परन्तु वर्तमान समय में पढ़े – लिखे लोग निमोनिया से पीड़ित बच्चों का उपचार के लिए आपातकालीन स्थिति में भी होमियोपैय के पास जाते हैं और उचित होमियो औषधि द्वारा रोग का निदान कराते हैं
अब वह दिन नहीं जब सर्दी , खांसी एवं अन्य बीमारियों का इलाज कराने के लिए होमियो चिकित्सकों के पास न जाएं . आज यही कारण है कि लगभग हर होमियो क्लिनिकों में रोगियों की भीड़ रहती है . निमोनिया में आपातकालीन स्थिति उत्पन्न हो सकती है , परन्तु न्यूर्मोकाक्सिन एवं वैनेडियम जैसी औषधियों के बाद निमोनिया भयानक रोग अब नहीं समझा जाता है
किन्तु कुछ दशाएं ऐसी भी हो सकती है जब निमोनिया के रोगी को आपात स्थिति जैसी चिकित्सा की आवश्यकता हो सकती है . इस रोग में मृत्यु दर उस समय बढ़ जाती है जब यह रोग वृद्धावस्था में होता है . दुर्बल तथा पुराने शराबी को यह रोग हो या अन्य श्वसन रोग जैसे पुरानी खांसी , एम्फाइजिमा , ब्रोकियल अस्थमा या कोरोनावायरस आदि की जटिलताओं के परिणास्वरूप होता है तो ऐसे रोगियों को श्वसन क्रिया में रूकावट हो सकती है .
” श्वसन तंत्र में अत्याधिक शक्तिशाली वायरस के संक्रामक प्रकोप , रक्त संचार हृदयावरण शोथ , इमफाइमा तथा टायफायड हो जाए तो आपात स्थिति हो सकती है
निदान : – कई रोगियों में जब लक्षण रोग के चिन्ह स्पष्ट हो जाएं तो निदान सरल हो जाता है जैसे रोगी को तीव्र ज्वर के साथ बलगम खांसी तथा वक्षशूल होता है तो किसी भी या दोनों कंधों की ओर होता है
ऐसे रोगियों का अचानक सांस लेने में कठिनाई होती है , सांस की नलियों के संकीर्ण हो जाने से सांस के साथ ऐसी आवाज उत्पन्न होती है जैसी घात की नलिकाओं से गुजरती है यह वायु के कारण होती है , नाड़ी तथा श्वसन दर के अनुपात में असंतुलन हो जाता है
यदि रक्त की जांच करायी जाए तो श्वेत रक्त कणों में पोलीमार्क की संख्या में वृद्धि पायी जाती है तथा एक्सरे में फेफड़े के प्रभावित क्षेत्र में ठोस कॉन्सीलीडेशन के लक्षण दिखाई पड़ते हैं .
कुछ रागियों में निदान उस समय कठिन हो जाता है जब रोगी का शरीर भारी हो . चौड़ी छाती में यदि शोथ का प्रभाव गहरा हो किन्तु अन्य लक्षण ज्वर , बलगम तथा वक्ष शूल हो तो ऐसी स्थिति में रक्त की जांच तथा एक्स – रे की सहायता ली जाती है , उस रोगी के वक्षस्थल की गति भी समांतर नहीं होती तथा स्थेस्कोप से ध्यान से सुनने पर रोगी के गहरी सांस खींचते समय फाइनक्रिपिटेशन की आवाज सुनाई देती है . वद्धावस्था में जरा भी असावधानी के कारण न्यूमोनिया हो सकता है ।
क्योंकि इस अवस्था में रोगी को खांसकर बलगम निकालने की शक्ति कमजोर हो जाती है . बलगम में रोगाणु पलते – बढ़ते रहते हैं और शरीर की प्रतिरक्षण शक्ति के कमजोर पड़ते ही निमोनिया का आक्रमण हो सकता है . रोग अचानक ही हो जाता है , सभी लक्षण तथा चिन्ह निमोनिया से मिलते हैं , शरीर नीलिमायुक्त हो जाता है
क्योंकि रक्त में शुद्ध ऑक्सीजन न पहुंचने के कारण कार्बन डायऑक्साइड फैलती रहती है तथा विभिन्न रासायनिक प्रतिक्रियाओं के फलस्वरूप त्वचा का रंग नीला होने लगता है जो मस्तिष्क तथा चेहरे पर स्पष्ट रूप से दिखायी देता है , कुछ वृद्ध व्यक्तियों को मानसिक समस्याएं जैसे व्याकुलता आदि के साथ हाथ – पांव दुर्बल लेने लगते हैं
ऑक्सीजन की कमी के कारण कुछ रोगियों में हृदय एवं किडनी भी प्रभावित हो जाते दुर्बलता की अवस्था में बहुत से अन्य रोगियों की शारीरिक प्रतिरक्षण शक्ति कम होने के कारण संक्रमण का सामना न करके निमोनिया हो जाता है . ऐसे रोगियों को जब सांस में कठिनाई होने लगती है तो रक्त की जांच तथा छाती का एक्स – रे करवाने पर निमोनिया का निदान हो जाता है , पुराने श्वसनांगों के रोग तया बाहृय रक्त संचार के असफल होने के कारण भी निमोनिया हो जाता है
कुछ रोगियों को ऑपरेशन के बाद भी निमोनिया हो जाता है या तो एसपीरेशन निमोनिया होता है या नलिका द्वारा तरल भोजन पदार्थ के देने से जटिलताओं के परिणामस्वरूप हो जाता है , ऐसे रोगियों में ज्वर पहले से भी हो सकता है ; किन्तु तीव्र सांस की कठिनाइयों तथा त्वचा की नीलिमा जैसे चिन्ह निमोनिया का संकेत देते हैं
क्त्त की जांच तथा एक्स – रे से तुरंत रोग की पुष्टि हो जाती है , जांच की सुविधाएं नहीं रहने पर छाती को सावधानी से निरीक्षण करके रोग का पता लगाया जा सकता है . निमोनिया की जटिलता के कारण फेफड़ों में पीत पड़ जाती है जिसे एम्पाइमा कहा जाता है , इसकी चिकित्सा के लिए उसके लक्षण से संबंधित होमियोपैथिक दवाओं का प्रयोग किया जाता है
निमोनिया के कारण कभी – कभी हृदयावरण शोथ होकर गंभीर अवस्था हो जाती है . एक्स – रे तथा अन्य परीक्षों की सहायता से जटिल रोग की पुष्टि हो जाती है . निमोनिया का कारण न्यूमोकॉक वैसीलस नामक जीवाणु है
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