शरद पूर्णिमा: धन प्राप्ति के लिए सबसे उत्तम तिथि
इसे कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा कहा जाता है।
हिन्दू धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा का व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कहा जाता है इस दिन चंद्रमा धरती पर अमृत की वर्षा करता है। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा, माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा का विधान है।
शरद पूर्णिमा का चांद और साफ आसमान मानसून के पूरी तरह चले जाने का प्रतीक है। कहते हैं ये दिन इतना शुभ और सकारात्मक होता है कि छोटे से उपाय से बड़ी-बड़ी विपत्तियां टल जाती हैं। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इसी दिन मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था। इसलिए धन प्राप्ति के लिए भी ये तिथि सबसे उत्तम मानी जाती है।
शरद पूर्णिमा का महत्व
=================
कहा जाता है कि जो विवाहित स्त्रियां इस दिन व्रत रखती हैं तो उन्हें संतान की प्राप्ति होती है। जो माताएं इस व्रत को करती हैं उनके ब’चे दीर्घायु होते हैं। अगर कुंवारी लड़कियां ये व्रत रखें तो उन्हें मनचाहा पति मिलता है।
इस दिन प्रेमावतार भगवान श्रीकृष्ण, धन की देवी मां लक्ष्मी और सोलह कलाओं वाले चंद्रमा की उपासना से अलग-अलग वरदान प्राप्त किए जाते हैं।
रात में आकाश के नीचे खीर रखने की है परंपरा
==================================
शरद पूर्णिमा की रात में आकाश के नीचे खीर रखने की भी परंपरा है। इस दिन लोग खीर बनाते हैं और फिर 12 बजे के बाद उसे प्रसाद के तौर पर गहण करते हैं। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा आकाश से अमृत बरसाता इसलिए खीर भी अमृत वाली हो जाती है। ये अमृत वाली खीर में कई रोगों को दूर करने की शक्ति रखती है।
शरद पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
====================
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ- 13 अक्टूबर 2019 की रात 12 बजकर &6 मिनट से।
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 14 अक्टूबर की रात 02 बजकर &8 मिनट तक।
चंद्रोदय का समय- 13 अक्टूबर 2019 की शाम 05 बजकर 26 मिनट।
शरद पूर्णिमा व्रत विधि
=================
– पूर्णिमा के दिन सुबह में इष्ट देव का पूजन करना चाहिए।
– इन्द्र और महालक्ष्मी जी का पूजन करके घी के दीपक जलाकर उसकी गन्ध पुष्प आदि से पूजा करनी चाहिए।
– ब्राह्मणों को खीर का भोजन कराना चाहिए और उन्हें दान दक्षिणा प्रदान करनी चाहिए।
– लक्ष्मी प्राप्ति के लिए इस व्रत को विशेष रुप से किया जाता है. इस दिन जागरण करने वालों की धन-संपत्ति में वृद्धि होती है।
– रात को चन्द्रमा को अघ्र्य देने के बाद ही भोजन करना चाहिए।
– मंदिर में खीर आदि दान करने का विधि-विधान है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन चांद की चांदनी से अमृत बरसता है।
– रात 12 बजे के बाद अपने परिजनों में खीर का प्रसाद बांटें।
नेत्र सुरक्षा के लिए शरद पूर्णिमा का प्रयोग :– वर्षभर आंखें स्वस्थ रहे, इसके लिए शरद पूनम की रात को चन्द्रमा की चांदनी में एक सुई में धागा पिरोने का प्रयास करें । कोई अन्य प्रकाश नहीं होना चाहिए ।
शरद पूर्णिमा पर अध्यात्मिक उन्नति :– शरद पूनम रात आध्यात्मिक उत्थान के लिए बहुत फायदेमंद है । इसलिए सबको इस रात को जागरण करना चाहिए अर्थात जहाँ तक संभव हो सोना नही चाहिए और इस पवित्र रात्रि में जप, ध्यान, कीर्तन करना चाहिए
दमा के मरीजों के लिए :– इस रोग के मरीज को सर्दी का मौसम अत्यधिक कष्टकारी होता है इन सभी से विनती है आप गुनगुना पानी, तुलसी या लौंग या अजवायन या दालचिनी युक्त उबला हुआ गुनगुना पानी ही सेवन करें साथ ही दालचिनी सौठ युक्त चूर्ण को शहद में मिलाकर सुबह शाम अवश्य चाटे , सम्भव हो तो पूनम की रात को चिडचिडी (आपामार्ग के बीज) अर्जुन छाल व दालचिनी युक्त गुड़ दूध से तैयार खीर का सेवन करें यह अतिउपयोगी होता है
शरद पूर्णिमा का चांद सेहत के लिए काफी फायदेमंद है. इसका चांदनी(रोशनी) से पित्त, प्यास, और दाह दूर हो जाते है. दशहरे से शरद पूर्णिमा तक रोजाना रात में 15 सो 20 मिनट तक चांदनी का सेवन करना चाहिए. यह काफी लाभदायक है. साथ ही चांदनी रात में त्राटक ( नेत्रज्योति बढ़ाने के लिये दशहरे से शरदपूर्णिमा तक प्रतिदिन रात्रि में 15 से 20 मिनट तक चंद्रमा के आगे पलकें झपकाये बिना एकटक देखने से आपकी आंखों की रोशनी बढ़ेगी. साथ ही ऐसा कहा जाता है कि वैद्य लोग अपनी जड़ी-बूटी और औषधियां इसी दिन चांद की रोशनी में बनाते-पीसते हैं जिससे यह रोगियों को दोगुना फायदा देता है खासकर गर्म तासीर की औषधियों को जिससे उसमे शीतलता गुण निहित हो और सभी के लिए फायदेमंद हो जाये साथ ही चाँदनी हर रात में निर्मित औषधि गर्मी ऋतु व पित प्रकृति हेतु अति उत्तम हो जाती है.
शरद पूर्णिमा की रात को छत पर खीर को रखने के पीछे वैज्ञानिक तथ्य भी छिपा है। खीर दूध और चावल से बनकर तैयार होता है। दरअसल दूध में लैक्टिक नाम का एक अम्ल होता है। यह एक ऐसा तत्व होता है जो चंद्रमा की किरणों से अधिक मात्रा में शक्ति का शोषण करता है। वहीं चावल में स्टार्च होने के कारण यह प्रक्रिया आसान हो जाती है। इस खीर का सेवन सेहत के लिए महत्वपूर्ण बताया जाता है| (With Thanks from ddm Whatsapp group)