उत्तर प्रदेश

कोई ख़ास सुविधाएँ नहीं मिलेंगी मुख्तार को: जेल के अंदर जाते ही पैरों पर खड़ा हो गया

 माफिया मुख्तार अंसारी के पंजाब के रोपड़ जेल से आने के बाद पहली रात बांदा जेल में गुजरी। पंजाब से बुधवार को करीब 900 किलोमीटर का सफर तय करके उत्तर प्रदेश के बांदा जेल पहुँचते ही मुख्तार की वो सभी बीमारियां ठीक हो गयीं

जिनकी शिकायत उसे रोपड़ जेल में थीं। वहीं शुरू से बैरक नंबर 15 में मुख्तार का नया ठिकाना बताया जा रहा था लेकिन खुद मुख्तार को भी नहीं पता होगा जेल प्रशासन उसे बैरक के बदले सरप्राइज देने वाली है।

दरअसल, यूपी पुलिस कड़ी सुरक्षा के बीच करीब 14 घंटे का समय तय करते हुए मुख्तार को लेकर जब पंजाब से बांदा पहुंची तो मुख्तार की लगभग कई बीमारियां तो ऐसे ही ठीक हो गयीं।

कुछ दिनों पहले पंजाब की कोर्ट में पेशी के दौरान व्हीलचेयर पर नजर आने वाला मुख़्तार बांदा जेल के अंदर जाते ही अपने पैरों पर खड़ा हो गया। व्‍हीलचेयर छोड़ कर मुख्तार जेल के अंदर टहलने लगा।

इतनी ही नहीं बांदा जेल पहुंचने पर मुख्तार की मेडिकल जांच भी हुई। उसकी जांच रिपोर्ट में कई बीमारियां सिर्फ यूपी से पंजाब आने भर से ठीक हो गयीं। बता दें कि पंजाब मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक़, मुख्तार शुगर से लेकर स्लिप डिस्क और हार्ट जैसी बीमारियों से ग्रस्त था लेकिन यूपी में हुई उसकी मेडिकल जांच में वह एकदम स्वस्थ निकला।

मुख्तार अंसारी की सुरक्षा को लेकर यूपी पुलिस काफी मुस्तैद दिखी। यूपी से पंजाब करीब १०० लोगों की टीम पहुंची, जिसमे पुलिस, पीएसी और डॉक्टर शामिल थे।

सभी ने बुलेट प्रूफ जैकेट पहन रखी थी। वहीं जब यूपी की स्पेशल टीम मुख्तार को पंजाब से लेकर रवाना हुई तो उसे भी बुलेटप्रूफ जैकेट पहनाया गया।

पंजाब से यूपी लाने जाने तक जिलों में पुलिस की टीमें तैनात रहीं, जिन्होंने मुख्तार को ले जा रही स्पेशल टीम को जिला पार कराया। वहीं जब मुख्तार बांदा जेल पहुंचा तो पहले उसे सामान्य बैरक में रखा गया।

बाद में पूर्व निर्धारित जेल की बैरक नंबर 15 में शिफ्ट कर दिया गया। हालाँकि जेल प्रशासन ने मुख्तार को उस समय चौंका दिया, जब अचनाक ही मुख्तार को बैरक नंबर 15 से हटा दिया गया और बैरक नंबर-16 में शिफ्ट कर दिया गया है।

माफिया मुख्तार अंसारी को बांदा जेल की बैरक नंबर16 में एक आम कैदी की तरह रहना होगा। जेल के अंदर उनका दबदबा और माफिया नेटवर्क नहीं चल सकेगा।

आपराधिक मामलों में सजा काट रहे मुख्तार को राजनीतिक बंदी नहीं माना जाएगा। बता दें कि एक समय ऐसा भी था, जब मुख्तार का जेल में रूतबा था।

पहले जब वह बांदा जेल में बंद थे तो अन्य अपराधी उनसे खौफ खाते थे। जेल में उनका दरबार लगता था लेकिन इस बार मुख्तार को कायदे में रहना होगा। उन्हें कोई ख़ास सुविधाएँ नहीं मिलेंगी। उन्हें वैसा ही जीवन जेल में बिताना होगा जैसा दूसरे कैदी बिताते हैं।

News Desk

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