Muzaffarnagar News: श्रीराम कथा का आयोजन-लक्ष्मण का चरित्र श्री राम चरित्र मानस मे सबसे अनोखा चरित्र
मुजफ्फरनगर।(Muzaffarnagar News) सनातन धर्म सभा भवन मे चल रही श्रीराम कथा के आज चौथे दिन कथा व्यास ब्रिजेश पाठक ने लक्ष्मण चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि लक्ष्मण का चरित्र श्री राम चरित्र मानस मे सबसे अनोखा चरित्र है। लक्ष्मण भगवान राम के अनुज के साथ-साथ सच्चे सेवक थे।
राम वन गमन की कथा सुनाते हुए कथा व्यास ने कहा कि जब राम को वनवास हुआ तो लक्ष्मण जी ने भी उनके साथ वन जाने की इच्छा जाहिर की। जब लक्ष्मण माता सुमित्रा से वन जाने के लिए आज्ञा लेने को पहुंचे तो माता सुमित्रा को ऐसा लगा कि उनके चारो और आग लग गई हो तथा उनका शरीर उस आग के बीच घिरी हिरणी के समान था। माता सुमित्रा के मन मे उस समय चार विचार आए। कि राम के बिना, लक्ष्मण कैसे रहेंगे तथा भरत राजपाठ को कैसे संभालेंगे व महाराजा दशरथ जिनमे प्राणो मे राम बसते हैं
वो राम के बिना कैसे जी पायेंगे। कथा व्यास ब्रिजेश पाठक महाराज ने रामायण के कई मार्मिक प्रसंगो को सुनाया। महाराज निषादराज के पास पहुंचते हैं। उस स्थान को देखकर भरत भाव विभोर हो जाते हैं कि जिस स्थान पर भगवान राम व सीता माता ने विश्राम किया था। जब भरत ने निषाद राज से वह स्थान जानने की इच्छा चाही कि लक्ष्मण ने कहा विश्राम ने पूरी रात भगवान राम की सेवा मे खडे होकर रात बिताई।
कथा व्यास ने परमात्मा गुरू व संत से दूर नही होना चाहिए। माता जानकी का हरण जब हुआ गुरू वशिष्ठ अयोध्या मे थे। परमात्मा श्रीराम मृग के पीछे थे व संत लक्ष्मण को उन्होने कुटिया से दूर भेज दिया था।
इसी लिए माता सीता पर विपत्ति आई। कथा व्यास ने कहा कि मनुष्य को अपने जीवन को अच्छे तरीके से जीना चाहिए। उसे यह बात अपने मन मे रखनी चाहिए कि वह जो भी कर्म कर रहा है।
उसे भगवान जरूर देखता है। उसके द्वारा किए गए कर्मा का फल उसे जरूर भोगना पडता है। उन्होने कि महाराजा भरत त्याग और वैरौग्य की प्रतिमुर्ति थे। उन्होने श्रीराम की खडाउ को सिंहासन पर रखकर जन सेवक के रूप मे राज्य चलाया।