Health Care: असाधारण स्मरण शक्ति और बुद्धि बढ़ाना (No. 1 Memory Booster) अब आपके हाथ में है..
Health Care: Memory (स्मरण शक्ति) का सीधा सम्बन्ध मस्तिष्क से है । मानव मस्तिष्क में अनगिनत क्षमताओं और विशेषताओं के खजाने छुपे हैं । यह सच है कि | मस्तिष्कीय क्षमताएं ईश्वर प्रदत्त होती है । मगर यह सोचना गलत होगा कि उनके अभिवर्द्धन और उपार्जन के मामले में मनुष्य असहाय है । सतत प्रयासों द्वारा मस्तिष्कीय क्षमताओं में आश्चर्यजनक अभिवृद्धि (Memory Booster) के अनेक उदाहरण हमारे सामने हैं ।
मस्तिष्क की असीम क्षमताओं में स्मरण शक्ति का बहुत बड़ा योगदान है । आज जो हम लिखते – पढ़ते , देखते , सुनते हैं , यदि उसे कल भूल जाएं तो कैसी विचित्र स्थिति होगी , इसकी कल्पना सहज ही की जा सकती है । अतीत की स्मृतियों के आधार पर ही हम आज की समस्याओं के समाधान खोज पाने में सफल हो पाते हैं ।
प्राचीनकाल में Memory Booster
प्राचीनकाल में तो स्मरण शक्ति (Memory Booster) को अत्यधिक महत्व दिया जाता था । वेद मंत्रों को श्रुति और शास्त्र संहिताओं को स्मृति कहा जाता था । यह श्रुति और स्मृति केवल पुस्तकों तक सीमित नहीं रखी जाती थी , अपितु इसे कंठस्थ कर व्यक्ति इसे अपनी स्मृति का स्थायी अंग बना लिया करते थे । पश्चिमी मनोविज्ञानी गेट्सवर्ग पुनरावृत्ति पर बहुत जोर देते रहे हैं तथा इस प्राचीन स् पद्धति को स्मरण शक्ति बढ़ाने में उपयोगी मानते है ।
शारीरिक – संरचना की दृष्टि से भी मनुष्यों के मस्तिष्क में थोड़ा सा अन्तर होता है । फिर भला क्या वजह है कि एक व्यक्ति की स्मरण शक्ति तो असाधारण रूप से तीव्र (Memory Booster) होती है , जबकि दूसरा व्यक्ति याददाश्त के मामले में बहुत कमजोर होता है । आज के मशीनी जीवन में याददाश्त कमजोर होना एक व्यापक व गम्भीर समस्या बनता जा रहा है ।
विद्यार्थियों को अपनी पाठ्य पुस्तकों से पढ़ा गया पाठ याद नहीं रहता , किसी को व्यक्तियों के चेहरे और नाम पते याद नहीं रहते । कुछ लोग अपनी आवश्यक वस्तुएं कहीं रखकर भूल जाते हैं । कई लोग अपने दैनिक आवश्यक कामकाज तक भूल जाते हैं । इस सम्बन्ध में एक भुलक्कड़ महाशय का लतीफा बहुत दिलचस्प ।
वह मैं सुनाना चाहता हूं। एक महाशय अपनी धुन में बाजार से घर की ओर चले जा रहे थें कि रास्ते में उन्हें अपनी पत्नी दिखाई दी । उन्होंने ऐनक ठीक कर दिमाग पर जोर डालते हुए कहा ‘ मैडम , माफ कीजिए , मैंने आपको कहीं देखा है । ‘ – हालांकि इस तरह की बात तो चुटकुलों सोचिए ऐसे व्यक्ति को क्या तक कही है पर कहेंगे । वैसे तो स्मरण शक्ति का स्तर बचपन से . प्रौढ़ावस्था तक लगभग एक जैसा बना रहता है । अलंबत्ता वृद्धावस्था में अन्य शारीरिक अंगों की भांति स्मरण शक्ति भी कमजोर होने लगती है व जहां तक सामान्य अवस्था में याददाश्त कमजोर होने का सवाल है
Memory: शारीरिक और मानसिक
इसकी पृष्ठभूमि में अनेक कारण विद्यमान होते हैं , जो शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार के हो सकते हैं । मस्तिष्क का अविकसित होना , मस्तिष्क की जन्मजात विकृति , किसी गंभीर दुर्घटना में सिर पर चोट लगना , गंभीर रोग या कुपोषण का शिकार होना , निरन्तर चिंतित व तनावग्रस्त रहना , जीवन में लगातार हताश व विफलता प्राप्त होना , आत्मविश्वास या अत्यधिक अभाव , किसी प्रियजन की आकस्मिक मृत्यु तथा गहरा मानसिक आघात आदि अनेक कारणों को स्मरण लगना शक्ति , कमजोर होने के लिए उत्तरदायी ठहराया जा . सकता है । वैसे तो मेरे विचार से तीन मुख्य कारण हैं ।
प्रथम – किसी बात को स्मरण रखने की पूर्व इच्छा का अभाव । द्वितीय प्रस्तुत विषय को पूरे मनोयोग से समझने का प्रयास न करना तथा तृतीय प्रसंग में अरूचि तथा उपेक्षा का भाव होना और उसके महत्व को स्वीकार नहीं करना । स्मरण शक्ति में वृद्धि के उपायों में दवाओं व से अधिक मानसिक एकाग्रता और प्रस्तुत विषय में गहन अभिरूचि जागृत करने का है ।
पश्चिमी राष्ट्रों में इन दिनों स्मरण शक्ति बढ़ाने के उपायों (Memory Booster) पर व्यापक अनुसंधान किए जा रहे हैं । पटना हेल्थ केयर के प्रमुख डॉक्टर शौर्य प्रताप सिंह के अनुसार , स्मरण शक्ति बढ़ाने सम्बन्धी उपाय बचपन से ही अपनाए से जाने चाहिए क्योंकि भूलने की आदत की नींव क बाल्यकाल से ही पड़ जाती है ।
सर्वथा नई प्रक्रिया: Memory Booster
डॉ ० वेद प्रकाश ने बच्चों में याददाश्त की कमजोरी दूर करने के वास्ते एक सर्वथा नई प्रक्रिया (Memory Booster) ईजाद की है , जिसके तहत खेल – खेल में स्वाभाविक रूप से बच्चों में स्मरण शक्ति की तीव्रता को विकसित करने के अनेक उपाय सुझाए गए हैं । अमरीका के बाद यह पद्धति विश्व के अन्य कई देशों में बहुत अधिक लोकप्रिय हो रही है । डॉ वेद का कहना है कि जिन तथ्यों का भविष्य में स्मरण रखने की आवश्यकता है . उनमें गहरी रूचि उत्पन्न करनी चाहिए तथा ” यह चिंतन करना चाहिए कि स्मरंण से क्या लाभ होगा तथा विस्मरण से क्या हानि हो सकती हैं ?
इस चिंतन के पश्चात् तथ्यों की परतें मस्तिष्क पर जमाई जाएंगी तो वह लम्बे समय से तक स्थायी बनी रहेंगी । याद रखने , प्रसंगों , तथ्यों का उचित चयन भी स्मरण शक्ति को सुदृढ़ बनाने हेतु आवश्यक है । उपयोगी तथ्यों को सतर्कतापूर्वक समझना , दोहराना और आवश्यक होने पर नोट करना स्मरश शक्ति में वृद्धि में सब प्रकार से सहायक सिद्ध होंगे । छोटी – छोटी बातें भी स्मरण शक्ति को पैनी करने में उपयोगी साबित होती हैं ।
प्रतिदिन दैनिक कार्यों की सूची बनाकर रख लेने से आप उस दिन किए जाने वाले कार्यों को याद रखने की जहमत से बच सकते हैं । विद्यार्थियों को अपने विषय के अध्ययन में पूरी अभिरूचि व एकाग्रता के साथ जुट जाना चाहिए । एक बैठक अथवा एक ही समय में पूरा अध्याय समाप्त करना आवश्यक नहीं है । उसे आप अलग – अलग खण्डों में भी विभाजित कर अधिक सरलता से समझ सकते हैं , पढ़े हुए की पुनरावृत्ति स्मरण शक्ति को बढ़ाने में उपयोगी सिद्ध हो सकती है ।
यदि आपने सचमुच अपनी याददाश्त को तेज करने का निश्चय कर लिया है तो यथा सम्भव स्वयं को चिंताओं और तनावों से दूर रखने का प्रयास करें । मानसिक तनाव स्मरण शक्ति का हास करता है । असंगत , अनावश्यक और दूषित विचारों को अपने मस्तिष्क में स्थान न दीजिए । अपनी दूरी एकाग्रता सम्बन्धित विषय पर केन्द्रित कीजिए । रात्रि में शयन से पूर्व दिन भर की गति विधियों को सिलसिलेवार याद करने का प्रयास – कीजिए ।
ऐसा आप कम से कम दो बार करेंगे , तो आप पाएंगे कि दूसरी बार में आपको कई भूली हुई बातें भी याद आ गई हैं । आपको इसका विस्तार से निरंतर अभ्यास अवश्य ही लाभ पहुंचाएगा और आपकी स्मरण शक्ति अधिक प्रखर होगी । हां , एक बात अवश्य याद रखें दिन भर की बातों का यह दोहराव दिन में घटी किसी अप्रिय घटना को लेकर तनाव बढ़ाने के लिए नहीं है । यह तो केवल स्मरण शक्ति की परख के लिए है । स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है ।
अतएव स्वयं को हमेशा शारीरिक रूप से चुस्त , दुरुस्त व प्रसन्नचित रखिए । नियमित रूप से व्यायाम करना प्रातःकालीन भ्रमण , सामान्य स्वस्थ नियमों का परिपालन करना आदि बातें व्यक्ति को न केवल शारीरिक दृष्टि से प्रफुल्लित रखती हैं अपितु स्मरण शक्ति की वृद्धि में भी आश्चर्यजनक योगदान करती है ।
संतुलित आहार लेना , नियमित जीवन व्यतीत करना , अधिक गर्म व तेज खाद्य पदार्थों से बचना , सात्विक वातावरण में कहना आदि तथ्य भी स्मरण शक्ति के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं ।
महर्षि दयानन्द सरस्वती जी ने संस्कार विधि में पुंसवन संस्कार में स्पष्ट निर्देश दिया है कि गर्भवती महिला सुनियम से युक्ताहार करे । विशेषकर गिलोय , ब्राह्मी , शंखपुष्पी और सोंठ को दूध के साथ – साथ खाया करें । इस प्रकार स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए । अगर यह आप नहीं कर सकते हैं तो ग्रीन स्टार फार्मा की बनी हुई हेल्थ रिचार्ज कैप्सूल का प्रयोग नियमित रूप से करें ।