स्वास्थ्य

निम्न रक्तचाप- प्राकृतिक एवं घरेलु चिकित्सा

रक्तवाहक नलियों के भीतर दीवार पर सामान्य से कम दाब को निम्न रक्तचाप कहते हैं। इसमें `गैस´ आ जाने सदृश स्थिति हो जाती है। नब्ज काफी धीमी हो जाती है। रोगी में अनुत्साह, शरीर दुर्बल, भूलने की बीमारी आदि लक्षण प्रकट होते हैं।

किसी संक्रामण रोग के कारण जब कोई स्त्री-पुरुष अधिक समय तक पीड़ित रहता है तो शरीर में रक्त का अधिक अभाव होने से निम्न रक्तचाप (लो ब्लडप्रेशर) की विकृति होती है। निम्न रक्तचाप में रोगी को बहुत घबराहट होती है और सिर में चक्कर आने से रोगी बिस्तर से नहीं उठना चाहता है। लो ब्लडप्रेशर की स्थिति में रोगी कोई परिश्रम का कार्य नही कर पाता है।

निम्न रक्तचाप (लो ब्लडप्रेशर) की विकृति शारीरिक निर्बलता के कारण होती है। शारीरिक निर्बलता किसी लंबी बीमारी के कारण भी हो सकती है और किसी दुर्घटना में चोट लगने पर, अधिक खून निकल जाने पर भी हो सकती है।अर्श (बवासीर) रोग में अधिक रक्तस्राव (खून बहने से) होने से लो ब्लडप्रेशर (निम्न रक्त चाप) की विकृति हो सकती है।

ऋतुस्राव (एम.सी.) की किसी विकृति के कारण जब अधिक खून बहता है तो भी लो ब्लडप्रेशर (निम्न रक्त चाप) की उत्पति हो सकती है। प्रसव (बच्चे की डिलीवरी) के समय अधिक रक्तस्राव होने पर शारीरिक निर्बलता के साथ स्त्रियां निम्न रक्तचाप (लो ब्लड प्रेशर) से पीड़ित होती हैं

निम्न रक्तचाप होने पर रोगी अधिक शारीरिक निर्बलता का अनुभव करता है। फिर कुछ काम करने पर उसका हृदय जोरों से धड़कने लगता है। उसे अधिक घबराहट होती है। सारा शरीर पसीने से भीग जाता है। रक्ताल्पता अर्थात एनीमिया रोग की स्थिति में जब लो ब्लडप्रेशर यानी निम्न रक्तचाप होता है तो रोगी को चक्कर आने लगते है। बिस्तर से उठने पर आंखों के अंधेरा छा जाता है।

निम्न रक्तचाप के रोगी के लिए सीढ़ियां चढ़ना मुश्किल हो जाता है। कानों में घूं-घूं की आवाज होने के साथ, अधिक आलस्य के लक्षण प्रकट होते हैं।
सिर में दर्द और भारीपन के लक्षण भी दिखाई देते हैं। मस्तिष्क में खून की कमी होने से स्मरण-शक्ति क्षीण हो जाती है और साथ ही रोगी का किसी काम में मन नहीं लगता है।

उपचार-
अंकुरित भोजन: निम्न रक्तचाप (लो ब्लडप्रेशर) की चिकित्सा के लिए रोगी को अपने भोजन में पौष्टिक तत्त्वों का सबसे अधिक समावेश करना चाहिए। फलों का रस, हरी सब्जियां और अंकुरित अनाज शरीर में खून का अभाव नष्ट करके निम्न रक्तचाप को नष्ट कर देते हैं।

किशमिश: 50 ग्राम चने और 25 ग्राम किशमिश को रात में 2 कप पानी में भिगोकर रख दें। सुबह उठकर चने और किशमिश को खूब चबाकर खाएं, फिर उस पानी को पी लें। ऐसा करने से 3-4 सप्ताह में ही निम्न रक्तचाप (लो ब्लड प्रेशर) नष्ट होगा।

टमाटर: रोजाना भोजन से पहले 300 ग्राम टमाटर काटकर, सेंधानमक डालकर खाएं या 200 ग्राम सुबह-शाम टमाटर का रस पीने से निम्न रक्तचाप तेजी से सामान्य हो जाएगा।

गाजर: गाजर खाने व गाजर का रस पीने से भी निम्न रक्तचाप में लाभ होता है। गाजर का रस 100 मिलीलीटर और पालक का रस 50 मिलीलीटर मिलाकर रोजाना पीने से निम्न रक्तचाप (लो ब्लड प्रेशर) की विकृति नष्ट होती है।

खजूर: गुठली रहित खजूर को पानी से साफ करके 250 ग्राम लेकर दूध में उबालें। जब दूध की सतह पर भूरे रंग का घी तैरने लगे, तब आंच से उतारकर हल्का गर्म रहने पर पी जाएं। रोजाना 1 बार इसी तरह तैयार कर सेवन करते से निम्न रक्तचाप (लो ब्लडप्रेशर) की शिकायत दूर होती है। 50 ग्राम खजूर को दूध में उबालकर प्रतिदिन पीने से शारीरिक निर्बलता नष्ट होने पर निम्न रक्तचाप की विकृति समाप्त हो जाती है।

खीरा: सलाद के रूप में 200 ग्राम खीरे पर नींबू का रस और सेंधानमक मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से शरीर को आयरन मिलता है।

बादाम: बादाम की 3 गिरी रात को पानी में डालकर रखें और सुबह उठकर बादामों को साफ सिलपर घिसकर, चाटकर सेवन करने से बहुत लाभ होता है। घिसकर खाने में कोई परेशानी होती हो तो पीसकर सेवन कर सकते हैं।
रात को पानी में डाली हुई बादाम की तीन गिरी को सुबह पीसकर 50 ग्राम मक्खन और 10 ग्राम मिश्री मिलाकर खाने और 250 मिलीलीटर दूध पीने से निम्न रक्तचाप यानी लो ब्लडप्रेशर में बहुत लाभ होता हैं।

छुहारा: 2 छुहारे रात को 300 मिलीलीटर दूध में उबालकर खाने और दूध पीने से निम्न रक्तचाप (लो ब्लडप्रेशर) सामान्य होता है।पिस्ता : पिस्ते के 5 दाने पानी में भिगोकर सुबह खाने और शेष पानी पीने से निम्न रक्तचाप (लो ब्लडप्रेशर) की विकृति नष्ट होने के साथ स्मरणशक्ति विकसित होती है।

आंवला :आंवलों के 20 मिलीलीटर रस में 10 ग्राम शहद मिलाकर रोजाना सेवन करने से निम्न रक्तचाप में बहुत लाभ होता है।आंवले या सेब का मुरब्बा प्रतिदिन खाने से कुछ सप्ताह में लाभ होने लगता है।

सब्जी: पालक, बथुआ और मेथी आदि सब्जियों में लौह तत्त्व की मात्रा अधिक होती है। निम्न रक्तचाप में रोगी को प्रतिदिन इन सब्जियों का सेवन अवश्य करना चाहिए।

पोदीना: 50 ग्राम पोदीने को पीसकर उसमें स्वाद के अनुसार सेंधानमक, हरा धनिया और कालीमिर्च डालकर चटनी के रूप में सेवन करने से बहुत लाभ होता है।

हींग: 250 मिलीलीटर छाछ, भुनी हुई हींग और जीरे का छौंक लगाकर सेवन करें तो निम्न रक्तचाप में बहुत लाभ होता है। हींग को लोहे के बर्तन में घी डालकर आग पर लाल कर लें, फिर इस हींग में से एक चुटकी हींग सुबह-शाम रोजाना सेवन करने से निम्न रक्तचाप (लो ब्लड प्रेशर) में लाभ होता है।निम्न रक्तचाप (लो ब्लड प्रेशर) के रोगी को अपने भोजन में शुद्ध हींग का उपयोग अवश्य करना चाहिए। इससे रोग शीघ्र ही ठीक हो जाता है।

चुकन्दर: 150 मिलीलीटर चुकन्दर के ताजे रस को सुबह-शाम रोजाना पीने से निम्न रक्तचाप (लो ब्लडप्रेशर) में लाभ होता है।

मट्ठा: रोजाना सुबह-शाम 200-200 मिलीलीटर की मात्रा में छाछ यानी मट्ठा पीने से इस रोग में पर्याप्त लाभ होता है।

संतरा : संतरा या नारंगी के रस में हल्का-सा नमक डालकर पीने से निम्न रक्तचाप (लोब्लडप्रेशर) का रोगी 10-15 दिनों में स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर लेता है।

दूध: दूध, दही और घी का उचित मात्रा में सुबह सेवन करने से रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) सामान्य हो जाता है।

उतरन (उत्तमारणी): उतरन (उत्तमारणी) की जड़ की छाल 10 ग्राम सुबह-शाम सेवन करने से अनैच्छिक मांशपेशियों एवं रक्तवाहक संस्थान में उत्तेजना पैदा होती है जिससें ब्लडप्रेशर बढ़ जाता है।

काला चना: काले चने 20 ग्राम और 25 दाने किशमिश या मुनक्का रात को ठंडे पानी में भिगो दें। सुबह नित्य खाली पेट खाने से निम्न रक्तचाप (लो ब्लडप्रेशर) में लाभ होगा और साथ ही साथ चेहरे की चमक बढ़ती है।

लाल चित्रक: लाल चित्रक 0.5 ग्राम से 2 ग्राम शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से दुर्बलता दूर होती है और रक्तचाप की वृद्धि होती है।

जंगली उशवा: 10 से 20 ग्राम जंगली उशवा का चूर्ण सुबह-शाम सेवन करने से निम्न रक्तचाप (लो ब्लडप्रेशर) सामान्य होता है और शारीरिक दुर्बलता भी दूर हो जाती है।

किशमिश: 20 से 25 किशमिश किसी चीनी मिट्टी के कप में 150 मिलीलीटर पानी में भिगो दें। बारह घंटे भीगने के बाद सुबह एक-एक किशमिश को खूब चबा-चबाकर खाने से निम्न रक्तचाप (लो ब्लडप्रेशर) में लाभ होता है और शरीर पुश्ट हो जाता है।

मेथी: निम्न रक्तचाप वाले व्यक्तियों को मेथी की सब्जी में अदरक, लहसुन, गर्म मसाला आदि डालकर बनाई गई सब्जी का सेवन करने से लाभ मिलता है।5 से 20 ग्राम मेथीबीज को गुड़ के साथ सुबह-शाम सेवन करने से बल की वृद्धि होती है और निम्न रक्तचाप (लो ब्लड प्रेशर) में भी लाभ होता है।

मेथी कोलेस्ट्रॉल, एलडीएल या वीएल डीएल कोलेस्ट्रॉल और ट्राइम्लाइसराइड को कम करती है। मेथी में पाया जाने वाला डायस्जेनिम रसायन कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम करने में उपयोगी है। इस तरह यह हृदय रोगियों का प्रिय खाद्य है। मेथी की सब्जी बनाकर खाते रहें।

डॉ.ज्योति ओमप्रकाश गुप्ता

जबलपुर (म.प्र.)9399341299

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